उत्तराखंड पृथक राज्य आन्दोलन-(uttarakhand Movement)

पर guru ji द्वारा प्रकाशित

 
 
*  1897 में जबब्रिटिश महारानी विक्टोरिया उत्तराखंड आई थी तो वह कुमाऊं पहुंची थी वहां के स्थानीय नेताओं द्वारा महारानी विक्टोरिया के समक्षपर्वतीयक्षेत्रकोएकअलगराजनैतिकईकाईकीमांग को पहली बार उठाया गया था
 
*1923 मेंआनन्दसिंहउनकेसहयोगियोंकाप्रतिनिधिमण्डलकुमाऊँकोपृथकराजनैतिकईकाईबनानेकेउद्देश्यसेसंयुक्त प्रांत के गवर्नर से मिलाथा
 
* 1928 साइमन कमीशन के भारत आगमन परउत्तराखंड के कुछ लोगों द्वारा साइमन कमीशन का विरोध किया गया और कुमाऊं को पृथकप्रांत बनाने के लिए एक पत्र आगरा अवध के गवर्नर को भेजा गया
 
* 5-6 मई1938 कांग्रेस का वृहत सम्मेलनश्रीनगर में आयोजित किया गया जिसमें शीर्ष स्थानीय नेताव पंडित जवाहरलाल नेहरू औरउनकी बहिनविजय लक्ष्मी पंडित ने भाग लिया थाइस सम्मेलन मेंपंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की कि पर्वतीय लोगों कोअपने भाग्य का फैसलासामाजिक न्याय तथा अपनी संस्कृतिकेनिर्णय का अधिकार होना चाहिए
 
* 1946 हल्द्वानी में कांग्रेस का सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसके अध्यक्ष बद्रीदत्त पांडे थे उन्होंने कुमांऊ (पर्वतीय भू-भाग)  को अलग करने की मांग को जोर दिया 
 
* 1948 गंगादत्त पांडे द्वारा अपने पत्रों में उत्तराखंड शब्द का प्रयोग किया गया है उत्तराखंड शब्द का प्रयोग करने वाले ये प्रथम व्यक्तिथे 
 
* 1948 बद्रीदत्त पांडे द्वारा धर आयोग के सम्मुख पृथक राज्य की मांग को रखा गया था जिसे अस्वीकार किया गया था
 
 
 
* 1950 पर्वतीय जन विकास समिति राज्य समिति का गठन हुआ, उसने हिमाचल व उत्तराखंड को मिलाकर एक वृहत हिमालयराज्य बनाने का पक्ष रखा 
* 1952 पीसी कामरेड जोशी जिनका संबंध कम्युनिस्ट पार्टी से था उन्होंने  प्रथम बार भारत सरकार को पृथक पर्वतीय राज्य का ज्ञापन सौंपा था 
* 1954  इंद्रसिंह नयाल जो उस समय उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य थे उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा में पर्वतीयक्षेत्र के जन विकास के लिए एक ज्ञापन विधानसभा में रखा था 
* 1955 पीसी कामरेड जोशी द्वारा सर्वदलीय संघर्ष समिति का गठन किया गया पर्वतीय राज्य मांग के लिए 
* 1957 टिहरी रियासत के अंतिम शासक मानवेंद्र शाह व द्वारिका प्रसाद ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन की मांग को उठाया, लेकिन इसे ज्यादा मान्यता नहीं मिली 
* 1960 तीन पर्वतीय सीमांत जिले जिसमें दो जिले गढ़वाल के उत्तरकाशी, चमोली  व एक कुमांऊ का पिथौरागढ़,के लिए सरकारी गजट में उत्तराखंड शब्द का प्रयोग किया गया था 
* 1967 कांग्रेस का सम्मेलन रामनगर में आयोजित हुआ जिसमें द्वारिका प्रसाद उनियाल ने उत्तराखंड  को पृथक क्षेत्र के रूप में मान्यता देने की बात कही, तथा इस उद्देश्य का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया 
* 1968 दिल्ली वोट क्लब पर ऋषि बल्लभ सुंद्रियाल के आह्ववान पर गिरफ्तारी व प्रदर्शन किया गया 
* 1969 पर्वतीय विकास परिषद का गठन केंद्र सरकार द्वारा राज्य विकास के लिए किया गया 
* 1970 पीसी कामरेड जोशी द्वारा राष्ट्रीय मोर्चा का गठन किया गया व राज्य मांग को पुनः उठाया गया 
* 1972 द्वारा राज्य मांग को लेकर स्कूटर रैली निकाली गई व प्रदर्शन के लिए 
* 1974 भारतीय संसद में तत्कालीन गढ़वाल कोटद्वार के सांसद प्रताप सिंह नेगी द्वारा उत्तराखंड राज्य का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था 
* 1976 उत्तरांचल युवा मोर्चा का गठन किया गया ईस संगठन द्वारा भी राज्य मांग को लेकर संघर्ष किया गया 
* 24-25 जुलाई 1979 मसूरी में पर्वतीयजन विकास सम्मेलन का आयोजन किया गया 

* उस सम्मेलन की अध्यक्षता द्वारिका प्रसाद उनियाल ने की इस सम्मेलन में उत्तराखंड राज्य के लिए एक क्षेत्रीय दल का गठन किया गया


 * जिसका नाम उत्तराखंड क्रांति दल रखा गया 


* उत्तराखंड क्रांति प्रथम अध्यक्ष डीडी पंत थे 
* 23 अप्रैल 1987 यूकेडी के उपाध्यक्ष त्रिवेंद्र सिंह पंवार धीरेंद्र बधोलाद्वारा उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर संसद में पत्र बम फेंका गया, जिससे उत्तराखंड राज्य मांग का मुद्दा राष्ट्र मुद्दा बन गया 
* 1988 उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन शोबन सिंह जीना द्वारा किया गया 
* 1989 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हुए थे,जिसमें यू0के0डी0 की टिकट सेचुनाव लड़ा जसवंत सिंह बिष्ट नेवह चुनाव में विजय हुए,
* 1989 दोबारा चुनाव जीता जसवंत सिंह बिष्ट ने अपनी पुरानी सीट रानीखेत विधानसभा से
* 1990 जसवंत सिंह बिष्ट प्रथम व्यक्तिथे जिन्होंने सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश विधानसभा में उत्तराखंड पृथक राज्य का प्रस्ताव रखा था
* 1991 उत्तराखंड मुक्ति मोर्चा का गठन
* 1991 पहली बार भुवन चंद खंडूरी जी ने गढ़वाल लोकसभा सीट से पहली बार सांसद का चुनाव जीता और लोकसभा में शून्यकाल के दौरान उत्तरांचल राज्य गठन के मुद्दे पर बहस की जानेका मामला उठाया था
* 1991 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहली बार उत्तरांचल पृथक राज्य का प्रस्ताव पारित किया गया था
* 1994 रमाशंकर कौशिक समिति का गठन किया, गया उत्तरांचल राज्य की मांग को लेकर स्थानीय जनता द्वारा इस समिति का विरोध किया गया 

* विरोध का कारण इस समिति में स्थानीय व्यक्तियों का ना शामिल होना था। इस समिति ने उत्तरांचल की राजधानी गैरसैण होने की बात कही थी
* 8 अगस्त 1994 पौड़ी क्रांति – छात्रों का मंडलआयोग (आरक्षण विरोधी) व उत्तराखंड राज्य आंदोलन को लेकर संघर्ष छात्रों के आंदोलन में शामिल होने के बाद आंदोलन को गति प्रदान हुई, उत्तरांचल राज्य में जन आंदोलनों का दौर बढ़ता चला गया  उत्तराखंड के छात्रों व जनमानस द्वारा जगह – जगह पर प्रदर्शन किए गए और इन आंदोलन ने हिंसक रूप धारण किया 
* 1 सितंबर 1994 खटीमा गोलीकांड सात आंदोलनकारी की मृत्यु 
* 2 सितंबर 1994 मसूरी गोलीकांड इसे बांटाघाटा कांड भी कहा जाता है 
* 15 सितंबर बांटाघाटा कांड 
 
* 2 अक्टूबर 1994 मुजफ्फरनगर गोलीकांड रामपुर तिराहा कांड – 2 अक्टूबर को उत्तराखंड में काला दिवस मनाया जाता है इस कांड में पुलिस द्वारा बर्बरता से आंदोलनकारियों के साथ मारपीट की गई कार्यवाही की गई जिसमें कई लोग घायल हुए तथा महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया गया कई लोग शहीद हुए इस घटना को क्रूरशासक की  क्रूर साजिश कहा गया 

सुभाषनी बर्त्वाल राज्य आन्दोलन दौरान सी०बी०आई मुकदमा झेलने वाली प्रथम महिला थी
* मुजफ्फरनगर कांड से आहत होकर कस्यूरी मानसरोवर नामक पुस्तक का विमोचन बलवंत मनराल ने किया 
*1995 श्रीयंत्र टापू कांड श्रीनगर आंदोलनकारियों द्वारा अनशन धरना प्रदर्शन किया गया जिस पर  पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों पर कार्यवाही के तहत फायरिंग, लाठीचार्ज किया गया, दो आंदोलनकारी शहीद हुए नदी में समा गये जिससे आंदोलन ने और अधिक तेजी से गति पकड़ी 
* 15 अगस्त 1996 लाल किले से भारत के प्रधानमंत्री एच0 डी0 देवगौड़ा द्वारा उत्तरांचल राज्य गठन की घोषणा की गई 
* 1 अगस्त 2000 को उत्तरप्रदेश पुर्नगठन विधयेक  लोकसभा में पारित किया गया 
* 10 अगस्त को  उत्तरप्रदेश पुर्नगठन विधयेक सभा से पारित किया गया 
* 28 अगस्त को भारत के राष्ट्रपति के आर नारायण द्वारा उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को अपनी स्वीकृति दी गई 

* 9 नवंबर 2000 को उत्तरांचल राज्य अस्तित्व में आया यह भारतीय संघ का 27 वां राज्य बना 

* राज्य अस्थायी राजधानी – देहरादून हाल ही में ग्रीष्म कालीन राजधानी गैरसैड घोषित की गयी है


* 31-12-2006 तक राज्य का नाम उत्तरांचल फिर 1-1-2007 राज्य का नाम परिवर्तन कर  उत्तराखंड कर दिया गया