Disasters of Uttarakhand State

आपदा ( Disasters)
प्राकृतिजन्य व मानवजनित अप्रत्याशित एवं दुष्प्रभाव वाली चरम घटनाओं या प्रकोप को आपदा कहा जाता है जिनके द्वारा मानव समाज जंतु व पादप समुदाय को अत्यधिक क्षति होती है आपदा हमेशा त्वरित एवं तीव्र गति से होती है ।
उत्तराखंड हिमालय व पर्वती राज्य है जहां की भौगोलिक परिस्थितियां मैं अत्यअधिक विषमता पाई जाती हैं, जिस कारण प्रत्येक वर्ष उत्तराखंड राज्य को प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है किसी वर्ष भूस्खलन तो किसी वर्ष भूकंप, किसी वर्ष बादलों का फटना व मेघ प्रस्फोट या किसी वर्ष बाढ़ हिमस्खलन का गिरना व गर्मियों में वनाग्नि जैसी आपदाएं राज्य में प्रमुख है जिससे राज्य को अत्यधिक क्षति व धन हानि उठनी पढ़ति है ।
भूकंप (Earthquakes) – भूकंप एक अत्यधिक विनाशकारी घटना है इसकी उत्पत्ति भ्रंशों के आकस्मिक संचालन से होती है जो पृथ्वी के धरातल से नीचे गहराई पर होती है ।
* भूकंप मापन का यंत्र है सिस्मोग्राफभूकंप की तीव्रता तथा परिणाम का मापन रिएक्टर मापक के आधार पर किया जाता है।
* भारत को पांच भूकंप जोनों में बांटा गयाउत्तराखंड के कुछ जिले 4 व 5 इन दो विनाशकारी जोन में आता है। यहां भूकंप की घटनाएं का आना होता रहता है
जोन – 4 चार– उधमसिंहनगर, नैनीताल, देहरादून, उत्तरकाशी, टिहरी
जोन – 5 पाँच– पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर
राज्य में कुछ विनाशकारी भूकंप का विवरण
* 22 मई 1803 का इस भूकंप की तीव्रता 6.0 थी।
* 6 सितंबर 1803 इसकी तीव्रता 9.03 थी बद्रीनाथ पूरा क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ था ।
* इस भूकंप का अपना ऐतिहासिक महत्व है, इस समय गढ़वाल के राजा प्रदूध्मन शाह थे, इस विनाशकारी भूकंप के कारण गढ़वाल के शासक अजय पाल का भवन क्षतिग्रस्त हो गया था।
* इस भूकंप का अपना ऐतिहासिक महत्व है, इस समय गढ़वाल के राजा प्रदूध्मन शाह थे, इस विनाशकारी भूकंप के कारण गढ़वाल के शासक अजय पाल का भवन क्षतिग्रस्त हो गया था।
आपदा वर्ष
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स्थल
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तीव्रता
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22 मई 1816
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गंगोत्री (उत्तरकाशी
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7.0
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28 अक्टूबर 1916
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पिथौरागढ़
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7.5
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14 मई 1935
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बाजांग (धारचूला)
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7.5
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28 अक्टूबर 1916
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धारचूला बजांग
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7.5
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2 अक्टूबर 1937
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देहरादून
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8.0
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4 जून 1945
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अलमोड़ा
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6.5
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20 जून 1945
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अल्मोड़ा
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6.5
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28 दिस्मबर
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बाजांग (धारचूला)
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7.5
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20अक्टूबर
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उत्तरकाशी
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6.6
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29 मार्च 1999
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चमोली
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6.6
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22 मई 1816
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गंगोत्री (उत्तरकाशी)
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6.8
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06 नवम्बर 2017
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तोलिया रुद्रप्रयाग
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5.5
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भू–स्खलन (landslides) – चट्टान ,मिट्टी मलबे के ढेर के अचानक ढलान के नीचे की ओर खिसकने की क्रिया को भू-स्खलन कहते हैं । यह भूकंप तथा वर्षा के कारण चट्टानों के ढीले हो जाने से होती है या मनुष्य द्वारा बांध, जल विधुत,रेल ,सड़क .सुरंग ,भवन आदि के निर्माण के लिए चट्टानों को तोड़ने के कारण भी भू-स्खलन की घटना हो जाता है।
बाढ़ (flood) – उत्तराखंड हिमालय राज्य है, यहां छोटी-बड़ी कई नदियां प्रवाहित होती है ये नदियां सदा नीर होती हैं, वर्षा काल में इन नदियों में अत्यधिक जल होता है नदी का मार्ग वर्षा की वजह से भूस्खलन होने से नदियों का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है जल अधिक होने की वजह से राज्य पर्वतीय मैदानी भागों में बाढ़ का खतरा बना रहता है ।
उत्तराखंड की प्रमुख बाढ़ व भूस्खलन से प्रभावित घटना
* 26 मई 1816 पौड़ी क्षेत्र में भूकंप के बाद अत्यधिक भूस्खलन।
25 मई 1842 जोशीमठ चमोली में भूस्खलन।
* 1867 नैनीताल जिले के शेर का डांडा पहाड़ी में भूस्खलन।
* 1868 में चमोली में गड़ियार ताल से निकलने वाली नदी बिरही की सहायक नदी में भूस्खलन के बाद भारी तबाही हुई थी काफी लोग की मृत्यु
* सितम्बर 1880 नैनीताल जनपद की लाधिया नदी मे बाढ़ से तबाही
* 1880 शारदा नदी के किनारे बसा ब्रह्मदेव बाढ़ की वजह से बह गया था, इसके बाद टनकपुर को बसाया गया।
* 1893 चमोली जिले में वाराही नदी में चट्टान गिरने से बनी गोना झील जो 1 वर्ष बाद 25 अगस्त 1894 को टूट गई थी ।
* जिसमें गढशासक राजा अजय पाल का भूकम्प में ध्वस्त भवन के अंश बह गये श्रीनगर सहित कई गांव तबाह हो गए थे इसका प्रभाव हरिद्वार तक था,
* अतः श्रीनगर को दोबारा बसाई गया था कमिश्नर पौ द्वारा कमिश्नर पौ आधुनिक श्रीनगर का वास्तुकार कहा जाता है।
* जिसमें गढशासक राजा अजय पाल का भूकम्प में ध्वस्त भवन के अंश बह गये श्रीनगर सहित कई गांव तबाह हो गए थे इसका प्रभाव हरिद्वार तक था,
* अतः श्रीनगर को दोबारा बसाई गया था कमिश्नर पौ द्वारा कमिश्नर पौ आधुनिक श्रीनगर का वास्तुकार कहा जाता है।
* 8 सितंबर 1967 नानक सागर बांध की दीवार टूटने से 35 गांव में नुकसान बाढ़ आई कई लोगों की मृत्यु हुई।
* 16 – 17 जून 2013 में उत्तराखंड के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी आई थी जिसमें कई स्थानों पर सड़क पुराने पुल नदी के किनारे बसे गांव बाजार टूरिस्ट लॉज खेत खलियान जनमानस सभी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुए थे ।
* उत्तराखंड राज्य में आपदाओं से सुरक्षा के लिये ऑस्ट्रेलिया मॉडल के तहत आपदा प्रबन्धका गठन किया गया है ।
*1 जुलाई 2013 को उत्तराखंड राज्य ने आपदा के दौरान राहत व बचाव कार्य हेतु एस0डी0आर0फ0 का गठन किया है ।
* उत्तराखंड में हाल ही में आपदा प्रबंध विभाग व एस0डी0आर0फ0 ने मेरी यात्रा मोबाइल एप शुरू किया है ।
2 टिप्पणियाँ
Himanshu Rastogi · दिसम्बर 26, 2020 पर 9:16 अपराह्न
Thanks Guruji
Guruji · दिसम्बर 28, 2020 पर 11:28 पूर्वाह्न
thanks