हीरा सिंह राणा जीवन परिचय

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हीरा सिंह राणा
(1942 से 2020)
हीरा सिंह राणा उत्तराखंड के  उन लोक प्रिय लोकगायक कलाकारों  व मंझे हुए कवियों  में भी शामिल थे, जिन्होंने  उत्तराखंड की लोक सांस्कृति, पर्वतीय महिलाओं की पीड़ा संघर्ष,  खनन माफिया, तथा  राज्य आन्दोलन ,  पलायन  जैसे सामाजिक मुद्दों को अपनी कविता तथा गायन के माध्यम का विषय बनाया इन के गीतों में इन्हें महशूस किया जा सकता है    यह हिरदा कुमाऊनी नाम से मशहूर थे, मथुरा दत्त मठपाल ने इन्हें कुमाऊं का हीरा की संज्ञा दी थी, यह  काफी समय से बीमार थे  लंबी बीमारी के बाद शुक्रवार 12 जून 2020 को उनके निवास स्थान दिल्ली में इनका देहान्त  हो गया हैंशनिवार को दिल्ली के निगमबोध घाट पर इनका अंतिम संस्कार किया गया
 
जीवन परिचय- 
जन्म- अल्मोड़ा में मनिला के पास डंडोलो ग्राम में हुआ था ।
पिता का नाम- मोहन सिंह राणा
माता का नाम- नारंगी देवी
जन्म तिथि – 16 सितंबर 1942
प्रारम्भिक शिक्षा- अल्मोड़ा
फिर दिल्ली गये 12 वी परीक्षा वही से पास की बाद संगीत मे स्कॉलरशिप से कलकत्ता गये
1965 गीत व कविताओं में अपना कैरियर प्रारंभ किया फिर ऊंचाइयों की बुलंदी पर पहुंचे 
 
इनके लोकप्रिय गीत
* स्का कमर बांध हिम्मत का साथ
* आजकल हो रे जमाना मेरी नोलीराणा
* धनली धन तेरो पराणा
* के भलो मान्यों छा हो
* के संध्या झूले रे
* आ लिली बकरी लिलि छु
एल्बम
* रंगीली बिंदी
* आह रे जमाना
* सोपना का चोर
* रंगदार मुखड़ी
* ढई बीसी बरस हाई कमाला
 
उपलब्धियां
* ई०टी०वी० के प्रसिद्ध संगीत शो झूमिगो में प्रीतम भरतवाण जी के साथ जज भी रहे
 
* 1974 नवयुवक सांस्कृतिक केंद्र तारीखेत रानीखेत की नींव रखी गढ़वाल व कुमाऊं के युवाओं के लिए
 
* 1985 कविता संग्रह मनीला प्रकाशित किया
 
* 1887 कविता मनखयु की रचना की
 
* 1992 हिमांगना कला संगम की स्थापना दिल्ली में की थी, उत्तराखंड की संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने के लिए की थी 
 
* दिल्ली सरकार ने इन्हें गढ़वाली, कुमाऊनी, जौनसारी भाषा अकादमी का प्रथम उपाध्यक्ष बनाया था
 
* फरवरी 2020 में भारत सरकार द्वारा संगीत नाटक एकेडमी का इन्हें सलाहकार नियुक्त किया गया था 
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