अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ)
न्यायाधीशों की संख्या: ICJ में कुल 15 न्यायाधीश होते हैं। ये न्यायाधीश संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) और सुरक्षा परिषद (UNSC) द्वारा गुप्त मतदान के माध्यम से चुने जाते हैं। प्रत्येक न्यायाधीश को 9 वर्ष के लिए नियुक्त किया जाता है, और वे पुनर्निर्वाचन के लिए पात्र होते हैं।
चुनाव प्रक्रिया: चुनाव हर तीन वर्ष में पांच न्यायाधीशों के लिए होते हैं, ताकि न्यायालय में निरंतरता बनी रहे। उम्मीदवारों को कानूनी विशेषज्ञता और उच्च नैतिक मानकों का होना आवश्यक है। न्यायाधीश विभिन्न क्षेत्रों और प्रमुख सभ्यताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
नेतृत्व: न्यायालय का अध्यक्ष (President) और उपाध्यक्ष (Vice-President) न्यायाधीशों द्वारा तीन वर्ष के लिए चुने जाते हैं। वर्तमान में (सितंबर 2025 तक), अध्यक्ष युजी इवासावा (Yuji Iwasawa) (जापान) हैं, जिन्हें 3 मार्च 2025 को चुना गया। उपाध्यक्ष जूलिया सबुटिंडे (Julia Sebutinde) हैं।
कर्मचारी: न्यायालय में रजिस्ट्रार (Registrar) और अन्य सहायक स्टाफ होते हैं, जो प्रशासनिक कार्य संभालते हैं।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के प्रथम अध्यक्ष जोस गुस्तावो ग्युरेरो थे I
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के प्रथम अध्यक्ष महिला न्यायाधीश डेम रोजलिन हिगिंस थी I
अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों में भारतीय न्यायाधीशों की जानकारी
नमस्ते! आपका प्रश्न “कितने भारतीय अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों में न्यायाधीश रहे, जानकारी चाहिए” लगता है। मैं इसे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice – ICJ) के संदर्भ में समझ रहा हूँ, क्योंकि यह सबसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय न्यायिक संस्था है। ICJ में भारत की ओर से अब तक 4 भारतीय न्यायाधीश सेवा दे चुके हैं। ये सभी भारतीय मूल के थे और संयुक्त राष्ट्र द्वारा चुने गए थे। नीचे संक्षिप्त जानकारी दी गई है:
क्रमांक | न्यायाधीश का नाम | कार्यकाल | विशेष जानकारी |
---|---|---|---|
1 | जस्टिस बेनेगल नरसिंग राव (Sir Benegal Narsing Rau) | 1952-1953 | ICJ के पहले भारतीय न्यायाधीश। वे संविधान सभा के सदस्य भी थे और अंतरराष्ट्रीय कानून के विशेषज्ञ। |
2 | जस्टिस नागेंद्र सिंह (Nagendra Singh) | 1973-1988 | ICJ के अध्यक्ष (1985-1988) रहे। राजस्थान के राजपरिवार से थे और भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त भी। |
3 | जस्टिस आर.एस. पाठक (R.S. Pathak) | 1989-1991 | भारत के मुख्य न्यायाधीश (1986-1989) रह चुके थे। ICJ में छोटा कार्यकाल, लेकिन महत्वपूर्ण योगदान। |
4 | जस्टिस दलवीर भंडारी (Dalveer Bhandari) | 2012-वर्तमान (2025 तक) | वर्तमान न्यायाधीश। 2017 में पुनर्निर्वाचित। भारत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश। 2024 में तीसरे कार्यकाल के लिए नामांकित। |
अतिरिक्त तथ्य:
- ICJ में कुल 15 न्यायाधीश होते हैं, जो 9 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। भारत ने 1946 से अब तक लगातार प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रयास किया है।
- नागेंद्र सिंह ICJ के प्रथम भारतीय अध्यक्ष थे।
- दलवीर भंडारी 22 वर्षों के अंतराल के बाद (1991 के बाद) भारत के प्रतिनिधि बने।
कार्य और शक्तियाँ (Functions)
ICJ के दो मुख्य कार्य हैं:
विवादास्पद मामले (Contentious Cases): यह देशों के बीच कानूनी विवादों का निपटारा करता है। केवल संप्रभु राज्य ही पक्षकार हो सकते हैं, और निर्णय अंतिम तथा बाध्यकारी होते हैं। उदाहरण: भारत-पाकिस्तान के बीच कुलभूषण जाधव मामला (2017-2019)।
सलाहकारी राय (Advisory Opinions): संयुक्त राष्ट्र महासभा, सुरक्षा परिषद या अन्य अधिकृत एजेंसियों द्वारा भेजे गए कानूनी प्रश्नों पर सलाह देता है। ये राय बाध्यकारी नहीं होतीं, लेकिन प्रभावशाली होती हैं। उदाहरण: कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीन वितरण पर सलाह (2020)।
अन्य भूमिकाएँ: ICJ अंतरराष्ट्रीय कानून के विकास में योगदान देता है और मानवाधिकार, पर्यावरण, सीमा विवाद आदि मुद्दों पर निर्णय देता है।
हाल ही में, मई 2025 में, जॉर्डन के राजदूत महमूद दैफल्लाह ह्मौद (Mahmoud Daifallah Hmoud) को ICJ का न्यायाधीश चुना गया। यह नियुक्ति पूर्व अध्यक्ष नवाफ सलाम (Nawaf Salam) के 14 जनवरी 2025 को इस्तीफे के बाद हुई। ह्मौद का चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में समानांतर मतदान से किया गया। वे लेबनान के पूर्व न्यायाधीश की जगह लेंगे और उनका कार्यकाल तत्काल प्रभाव से शुरू हो गया।
इसके अलावा, नवंबर 2025 में होने वाले चुनावों के लिए कुछ उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए हैं, जैसे केन्या की प्रोफेसर फोबे ओकोवा (Phoebe Okowa), लेकिन अभी तक कोई नया चुनाव नहीं हुआ है।
महत्वपूर्ण तथ्य
भाषाएँ: आधिकारिक भाषाएँ फ्रेंच और अंग्रेजी हैं।
वर्तमान सदस्य: कुल 15 सदस्यों में विभिन्न देशों का प्रतिनिधित्व है, जैसे पीटर टॉमका (स्लोवाकिया), रॉनी अब्राहम (फ्रांस) आदि।
प्रसिद्ध निर्णय: दक्षिण अफ्रीका बनाम इज़राइल (2024) में गाजा संघर्ष पर अस्थायी आदेश।
सीमाएँ: ICJ केवल सहमति से कार्य करता है; कोई भी देश जबरन शामिल नहीं किया जा सकता।
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