Dr. Shekhar Pathak biography

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Dr. Shekhar Pathak biography

डॉ. शेखर पाठक: इतिहासकार और पर्यावरण प्रेमी

जीवन परिचय

डॉ. शेखर पाठक उत्तराखंड के एक प्रसिद्ध भारतीय इतिहासकार, लेखक और विद्वान हैं यह कुमांऊ यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेशर के पद पर भी कार्यरत रहे थे । उनका जन्म 1951 में हुआ था। इतिहास, संस्कृति, और पर्यावरण के प्रति उनके गहरे जुड़ाव ने उन्हें एक विशेष पहचान दिलाई है।

पहाड़ संस्था की स्थापना

1983 में, डॉ. शेखर पाठक ने ‘पहाड़’ नामक संस्था की स्थापना की। यह संस्था हिमालय की समाज, संस्कृति, इतिहास और पर्यावरण से संबंधित शोध और प्रकाशनों पर केंद्रित है। इस संस्था ने पहाड़ और उसके आसपास के क्षेत्रों पर शोध और अध्ययन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रेरणा के स्रोत: पंडित नैन सिंह रावत

डॉ. पाठक को लेखक बनने की प्रेरणा महान अन्वेषक पंडित नैन सिंह रावत की ऐतिहासिक तिब्बत यात्राओं से मिली। नैन सिंह रावत ने एशिया के गूढ़ भूगोल और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला। इसी प्रेरणा से डॉ. पाठक और उमा भट्ट ने नैन सिंह रावत पर आधारित अपनी चर्चित पुस्तक ‘एशिया की पीठ पर’ लिखी, जो उनकी खोज यात्राओं पर आधारित एक अद्भुत कृति है।

प्रमुख उपलब्धियाँ और सम्मान

डॉ. शेखर पाठक को 2006 में महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इसके बाद, 2007 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से नवाजा गया।

हालांकि, 2015 में नैनीताल में आयोजित फिल्म महोत्सव के दौरान उन्होंने यह पुरस्कार लौटा दिया। इसका कारण उन्होंने देश में बढ़ रही असहिष्णुता और हिमालय के लोगों की उपेक्षा बताया।

अस्कोट – अराकोट अभियान

पहाड़’ संस्था की स्थापना डॉ. पाठक ‘  ने 1983 में की थी इसका पूरा नाम पीपुल्स  एसोसिएशन फॉर हिमालय एरिया है ‘

पहाड़’ संस्था द्वारा पांगूअस्कोट पिथौरागढ़ से अराकोट उत्तरकाशी तक पर्यावरण यात्रा का आयोजन किया जाता है । यह अभियान हर 10 साल में एक बार आयोजित किया जाता है और हिमालय के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर वहां के जीवन, संस्कृति और समस्याओं का अध्ययन करता है। यह अभियान पर्यावरण और सामाजिक जागरूकता को लेकर महत्वपूर्ण है।

यह यात्रा पिथौरागढ़ के अस्कोट से शुरू होकर उत्तरकाशी के अराकोट तक इसका आयोजन किया जाता है यह सबसे लम्बी पर्यावरण जागरूकता यात्रा है जो राज्य के 7 जिलों से गुजरती है –पिथौरागढ़ बागेश्वर चमोली रुद्रप्रयाग देहरादून टिहरी उत्तरकाशी  जो हर 10 वर्ष बाद आयोजित की जाती है l

2024 में 6 वी अस्कोट-अराकोट यात्रा 25 मई 2024 से शुरू होकर 8 जुलाई 2024 को समाप्ति हुई थी 

प्रमुख कृतियाँ

डॉ. शेखर पाठक की कई महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

  • उत्तराखंड में कुली-बेगार प्रथा
  • एशिया की पीठ पर
  • चिपको मूवमेंट: ए पीपल्स हिस्ट्री
  • हरी भरी उम्मीद
  • दास्तान-ए-हिमालय
  • हिमांक और क्वाथनांक 

डॉ. शेखर पाठक का जीवन और उनका कार्य उत्तराखंड के इतिहास, समाज और पर्यावरण की समझ को नई दिशा देने में अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ है। उनके कार्य और शोध ने हिमालय की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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