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भारत में हाथी जनगणना 2025: मुख्य जानकारी

भारत में हाथी जनगणना (Elephant Census) का नवीनतम संस्करण सिंक्रोनाइज्ड ऑल इंडिया एलीफेंट एस्टीमेशन (SAIEE) 2021-25 के रूप में जाना जाता है। यह भारत का पहला डीएनए-आधारित (DNA-based) राष्ट्रीय स्तर का हाथी गणना अभियान था, जो वन्यजीव संस्थान ऑफ इंडिया (WII) द्वारा संचालित किया गया। रिपोर्ट को 14-15 अक्टूबर 2025 को देहरादून में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी किया गया। यह गणना 2017 की पिछली जनगणना (जिसमें 29,964 हाथी अनुमानित थे) की तुलना में लगभग 25% की गिरावट दर्शाती है, लेकिन नई विधि के कारण आंकड़ों को सीधे तुलनीय नहीं माना जा रहा। कुल अनुमानित हाथी संख्या 22,446 है।

मुख्य निष्कर्ष

  • कुल जनसंख्या: 22,446 एशियाई हाथी (Elephas maximus)।
  • क्षेत्रीय वितरण:
    • पश्चिमी घाट: सबसे अधिक संख्या (11,934 हाथी) – कर्नाटक (6,013), तमिलनाडु (3,136), केरल (2,785)।
    • उत्तर-पूर्वी पहाड़ियां और ब्रह्मपुत्र मैदान: 6,559 हाथी (असम में 4,159 सबसे अधिक) – यहाँ 2017 से 35% गिरावट।
    • शिवालिक पहाड़ियां और गंगा मैदान: 2,062 हाथी (उत्तराखंड में 1,792 सबसे अधिक) – स्थिर।
    • मध्य भारत और पूर्वी घाट: 1,891 हाथी – झारखंड (-68%), ओडिशा (-54%) में भारी गिरावट; छत्तीसगढ़ (+82.6%) में वृद्धि (खनन के कारण विस्थापन से)।
  • शीर्ष राज्य: कर्नाटक, असम, तमिलनाडु, केरल, उत्तराखंड, ओडिशा।

विधि

  • यह गणना तीन-चरणीय प्रक्रिया पर आधारित थी: ग्राउंड सर्वे, सैटेलाइट मैपिंग, और जेनेटिक एनालिसिस (DNA मार्क-रिकैप्चर तकनीक)।
  • पुरानी विधियों (जैसे प्रत्यक्ष गिनती या डंग सर्वे) की तुलना में यह अधिक सटीक है, क्योंकि हाथियों की शारीरिक विशेषताओं की कमी को डीएनए से दूर किया गया। यह टाइगर गणना की उन्नत विधि से प्रेरित है।

चुनौतियां और सिफारिशें

  • मुख्य खतरे: आवास हानि (फसलें, बाड़बंदी, आक्रामक प्रजातियां), खंडीकरण (प्लांटेशन, खनन, राजमार्ग निर्माण), मानव-हाथी संघर्ष (इलेक्ट्रोक्यूशन, रेल दुर्घटनाएं)। मध्य भारत में मानव मौतों का 45% हाथी से जुड़ा है।
  • सकारात्मक पहलू: स्थानीय समुदायों का समर्थन महत्वपूर्ण; एकसमान मुआवजा नीति की आवश्यकता।
  • भविष्य की रणनीति: संरक्षण के लिए नीतियां मजबूत करें, विशेष रूप से ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ में। यह रिपोर्ट एक नया बेसलाइन स्थापित करती है, जो भविष्य की निगरानी के लिए उपयोगी होगी।

यह गणना हाथी संरक्षण के लिए एक “जागृति का संकेत” मानी जा रही है, क्योंकि भारत में विश्व की सबसे बड़ी एशियाई हाथी आबादी है। अधिक विवरण के लिए WII की आधिकारिक रिपोर्ट देखें।

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