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2025 के रामसर स्थलों के बारे में जानकारी

रामसर स्थल (Ramsar Sites) वे आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) हैं जो रामसर संधि (Ramsar Convention) के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की घोषित की जाती हैं। यह संधि 1971 में ईरान के रामसर शहर में हुई थी, जो आर्द्रभूमियों के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए है। भारत ने 1982 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे। 2025 तक, भारत में कुल 94 रामसर स्थल हैं, जो एशिया में सबसे अधिक हैं। ये स्थल जैव विविधता, जल संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण और प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

2025 में भारत ने कई नए रामसर स्थलों को जोड़ा, जो विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) और विश्व आर्द्रभूमि दिवस (2 फरवरी) के अवसर पर घोषित किए गए। ये नए स्थल मुख्य रूप से राजस्थान, तमिलनाडु, सिक्किम, झारखंड और बिहार में हैं। नीचे 2025 में जोड़े गए प्रमुख रामसर स्थलों की सूची दी गई है:

2025 में जोड़े गए नए रामसर स्थल

क्रमांक स्थल का नाम राज्य/केंद्र शासित प्रदेश घोषणा की तिथि (लगभग) क्षेत्रफल (हेक्टेयर में) प्रमुख विशेषताएं
1 उदवा झील पक्षी अभयारण्य (Udhwa Lake Bird Sanctuary) झारखंड फरवरी 2025 प्रवासी पक्षियों का महत्वपूर्ण आवास; झारखंड का पहला रामसर स्थल।
2 खेचियोपलरी आर्द्रभूमि (Khecheopalri Wetland) सिक्किम फरवरी 2025 पवित्र तिब्बती बौद्ध स्थल; जैव विविधता से भरपूर; सिक्किम का पहला रामसर स्थल।
3 सक्करकोट्टई पक्षी अभयारण्य (Sakkarakottai Bird Sanctuary) तमिलनाडु फरवरी 2025 समुद्री पक्षियों का प्रमुख स्थान; तमिलनाडु में अब 20 रामसर स्थल।
4 थेरथांगल पक्षी अभयारण्य (Therthangal Bird Sanctuary) तमिलनाडु फरवरी 2025 स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की शरण; मछली पालन और पर्यावरण संतुलन में सहायक।
5 खिचन आर्द्रभूमि (Khichan Wetland) राजस्थान (फलोदी) जून 2025 डेमोइसेल क्रेन जैसे प्रवासी पक्षियों का प्रसिद्ध स्थल; समुदाय-आधारित संरक्षण।
6 मेनार आर्द्रभूमि परिसर (Menar Wetland Complex) राजस्थान (उदयपुर) जून 2025 जलाशय और जंगलों से घिरा; राजस्थान में अब 4 रामसर स्थल।
7 गोकुल जलाशय (Gokul Jalashay) बिहार (बक्सर) सितंबर 2025 नदी-आधारित आर्द्रभूमि; बिहार के नए संरक्षण प्रयास।
8 उदयपुर झील (Udaipur Jheel) बिहार (पश्चिम चंपारण) सितंबर 2025 वन क्षेत्रों से घिरी झील; जैव विविधता और जल संग्रहण का केंद्र।

नोट: कुछ स्रोतों में कुल संख्या 91 से 94 तक भिन्नता दिखाई देती है, लेकिन नवीनतम अपडेट (अक्टूबर 2025) के अनुसार 94 है। कुल क्षेत्रफल लगभग 13,60,805 हेक्टेयर है।

रामसर स्थलों का महत्व

  • जैव विविधता: ये स्थल हजारों पक्षी प्रजातियों, मछलियों और पौधों के लिए आवास प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, खिचन में सर्दियों में हजारों डेमोइसेल क्रेन आते हैं।
  • पर्यावरणीय भूमिका: बाढ़ नियंत्रण, जल शुद्धिकरण, कार्बन संग्रहण और मिट्टी संरक्षण में सहायक।
  • भारत का योगदान: भारत अब एशिया में नंबर 1 और विश्व में तीसरे स्थान पर है। तमिलनाडु में सबसे अधिक (20) रामसर स्थल हैं।
  • चुनौतियां: शहरीकरण, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से खतरा; संरक्षण के लिए समुदाय भागीदारी जरूरी।

यदि आपको किसी विशिष्ट स्थल की विस्तृत जानकारी, मानचित्र या राज्यवार पूरी सूची चाहिए, तो बताएं!

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