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नैनीताल: उत्तराखंड का सरोवर नगरी
परिचय
नैनीताल, उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इसे “सरोवर नगरी” के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह क्षेत्र अपनी सुरम्य झीलों के लिए प्रसिद्ध है। नैनीताल का प्राचीन नाम “खाता दृष्टिखात परगना” था, जो समय के साथ नैनीताल के रूप में प्रचलित हो गया। इसकी खोज 18 नवंबर 1841 में पी. बैरन द्वारा की गई थी। यह नगर समुद्र तल से 2,084 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और हर वर्ष लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
इतिहास और अस्तित्व
नैनीताल की खोज अंग्रेज यात्री पी. बैरन ने 1841 में की थी। अंग्रेजों के समय से ही यह एक प्रमुख हिल स्टेशन के रूप में विकसित हुआ। 1891 में इस क्षेत्र का आधुनिक अस्तित्व आकार लेने लगा और धीरे-धीरे इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया। हल्द्वानी, जो नैनीताल के पास स्थित है, को 1834 में विलियम ट्रैल द्वारा बसाया गया था।
प्रशासनिक और राजनैतिक
1891 में ब्रिटिश शासन काल में नैनीताल को जिला बनाया गया था l 1854-55 में कुमाऊं कमिश्नरी का मुख्यालय अल्मोड़ा से नैनीताल लाया गया था l नैनीताल कुमांऊँ की पहली नगरपालिका थी स्वतंत्रता के बाद यह जब उत्तरप्रदेश में शामिल किया गया तो यह उत्तरप्रदेश की ग्रीष्म कालीन राजधानी भी रहा l वर्तमान में उत्तराखंड का हाईकोर्ट नैनीताल में है l
नैनीताल में 6 विधान सभा की सीट है – 1-नैनीताल 2- लालाकुंवा 3-हलद्वानी 4-रामनगर 5-भीमताल 6 कालाढूंगी नैनीताल में 9 तहसीलें है तथा विकासखंड ब्लॉक की संख्या 8 है l
नैनीताल जिले के आठ प्रमुख विकासखंड हैं: हल्द्वानी, भीमताल, रामगढ़, कोटाबाग, रामनगर, बेतालघाट, ओखलकांडा, और धारी। नैनीताल की सीमा 6 जिलों से लगती है नैनीताल पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश से सीमा साझा करता है इन क्षेत्रों का अपना-अपना सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व है, जो नैनीताल को एक विविधता से भरा क्षेत्र बनाता है।
भौगोलिक विवरण
नैनीताल जिले का कुल क्षेत्रफल 4,251 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 954,605 की जनसंख्या निवास करती है। कुमाऊं की अधिकांश झील नैनीताल में जिले में स्थित है
प्रमुख झील
नैना झील- झील के पास नैना देवी मंदिर के नाम पर इस झील का नाम पड़ा है l
भीम ताल-कुमाऊं के सबसे बड़ी झील है l
सात ताल- कुमाऊं की सबसे सुन्दर झील है
नौकुचिया ताल- कुमाऊं की सबसे गहरी झील है l
नल दमयंती ताल- इसके पांच कोने है इसका आकर अश्वखुर की तरह है
खुरपा ताल– इसका आकर जानवर के खुर के आकर का है l
नल ताल- इसे कमलताल भी कहते है l
अन्य ताल – हरीश ताल लोखम ताल आदि
प्रमुख पहाड़ियां –नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैनापीक (चाइनापिक) है l
मनोरा पीक पहाड़ी पर आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज वेधशाला है l
अन्य पर्वत श्रेणी – टिफिन टॉप, शेर का डंडा, लड़िया कांटा आदि
प्राकृतिक धरोहर और वन्यजीवन
नैनीताल जिले में भारत का प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। यह उद्यान वन्यजीवन प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। यहां बाघों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं, और यह भारत का पहला बाघ संरक्षण क्षेत्र भी है, जिसे 01 नवंबर 1973 को बाघ संरक्षित पार्क घोषित किया गया था। रामनगर में स्थित यह उद्यान नैनीताल और पौड़ी जिलों में फैला हुआ है और रामगंगा नदी इसके बीच से बहती है।
प्रमुख पर्यटन स्थल
नैनीताल अपने पर्यटन स्थलों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। सातताल, भीमताल, रामनगर, कालाढूंगी, मुक्तेश्वर, और हल्द्वानी जैसे स्थान प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। इन स्थलों में झीलों की शांति और प्राकृतिक सुंदरता के अलावा साहसिक खेलों के अवसर भी उपलब्ध हैं। नैनीताल झील, भीमताल, नौकुचियाताल, खुरपाताल, और सातताल यहां की प्रमुख झीलें हैं। इनके अलावा चाइना पीक और किलवरी पर्वत चोटियां भी ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।
काठगोदाम, हल्द्वानी, रामनगर, मुक्तेश्वर, रामगढ़, रानीबाग,घोडाखाल, कालाढूँगी
काठगोदाम–कुमाऊं का प्रवेश द्वारा भी कहा जाता है, यह कुमाऊं का एक प्रमुख रेलवे स्टेशनहै जिसकी की स्थापना ब्रिटिश शासन काल मे की गयी थी l
हल्द्वानी–हल्द्वानी नहान पर्वत की तलहटी पर बसा है, आधुनिक हल्द्वानी को बसाने का श्रेय जॉर्ज विल्यम ट्रेन को जाता है हलद्वानी नाम ट्रेल की ही देन है पुराने समय मे इसे हल्दूवाडी कहा जाता है क्योंकि यहाँ हल्दू के पेड की अधिकता थी l
रामनगर-कोसी नदी के तट पर बसा है कुमाऊ कमिशनर हैनरी रैम्जे ने इसे बसाया था प्रारम्भ में इसका का नाम रामजी नगर था फिर बाद में रामनगर हो गया जिम कार्बेट नॅशनल का प्रवेश द्वार यहां है l गर्जिया मंदिर, हनुमानगढ़ी, सीतावनी जैसे प्रमुख स्थल भी यहाँ है l
मुक्तेश्वर-यह एक प्राकृतिक खूबसूरत हिलस्टेशन है जो बांज बुरांश फलदार वृक्षों से घिरा हुआ है, यह राज्य का सबसे कम तापमान वाला स्थल भी है भारतीय पशु चिकित्सा शोध संस्थान मुक्तेश्वर में है जिसे भारतीय पशु चिकित्सा का मक्का कहा जाता है l
रामगढ़- मुक्तेश्वर से कुछ दूरी पर स्थित है फलो उद्यान के लिए जाना जाता है यहाँ रवींद्रनाथ टागोर व महादेवी वर्मा ने प्रवास किया था l
रानीबाग- गोला नदी के तट पर स्थित है कत्यूरी रानी जिया रानी की स्मृति पर इस स्थल को रानी बाग के नाम से जाना जाता है l
कालाढूंगी-यहाँजिम कार्बेट का घर था जिसे अब संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया है स्थित है l
प्राकृतिक धरोहर और वन्यजीवन
नैनीताल जिले में भारत का प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। यह उद्यान वन्यजीवन प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। यहां बाघों के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जाते हैं, और यह भारत का पहला बाघ संरक्षण क्षेत्र भी है, जिसे 01 नवंबर 1973 को बाघ संरक्षित पार्क घोषित किया गया था। रामनगर में स्थित यह उद्यान नैनीताल और पौड़ी जिलों में फैला हुआ है और रामगंगा नदी इसके बीच से बहती है।
शैक्षणिक और संस्थानिक विकास
नैनीताल शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। यहां उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (हल्द्वानी), कुमाऊँ विश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद (रामनगर), और उत्तराखण्ड न्यायिक एवं विधिक अकादमी जैसे प्रमुख संस्थान हैं। इसके अलावा एरीज (आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्सेर्वेशनल साइंसेज) भी यहां स्थित है, जो खगोल विज्ञान के क्षेत्र में प्रमुख अनुसंधान केंद्र है।
संग्रहालय और धरोहर स्थल
नैनीताल में कई संग्रहालय भी हैं जो यहां की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करते हैं। जिम कॉर्बेट म्यूजियम, हिमालय संग्रहालय और क्षेत्रीय अभिलेखागार यहां के प्रमुख संग्रहालय हैं। इसके अलावा फ्रेडरिक स्मेटा तितली संग्रहालय भी यहां स्थित है, जो तितलियों के संग्रह के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
नैनीताल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों से भी समृद्ध है। यहां नैनादेवी मंदिर, हनुमानगढ़ी, मुक्तेश्वर, और गर्जिया देवी के प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं। ये धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं। नंदादेवी, ग्रामीण हिमालय हाट, और बैशाखी पर्व जैसे मेले भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध करते हैं।
प्रमुख सड़क मार्ग और परिवहन
नैनीताल दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग 87 और 121 के माध्यम से जुड़ा हुआ है। हल्द्वानी, नैनीताल, और रामनगर को जोड़ने वाले ये मार्ग प्रमुख यातायात मार्ग हैं। हल्द्वानी और काठगोदाम रेलवे स्टेशन नैनीताल का प्रवेश द्वार माने जाते हैं। काठगोदाम रेलवे स्टेशन 1884 में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किया गया था, और इसे “गुलाबी घाटी” के नाम से भी जाना जाता है।
अन्य महत्वपूर्ण स्थल
नैनीताल में कई महत्वपूर्ण स्थल हैं जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक हैं। कैची धाम, जिसे संत नीम करौली बाबा ने स्थापित किया था, एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। रामगढ़ में कवियत्री महादेवी वर्मा संग्रहालय और टैगोर टॉप भी प्रमुख स्थल हैं, जहां रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी प्रसिद्ध कृति “गीतांजली” की रचना की थी। इसके अलावा काकड़ीघाट, जहां स्वामी विवेकानंद को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, एक ऐतिहासिक स्थल है।
नैनीताल केवल एक पर्यटन स्थल ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर का केंद्र भी है। झीलों, पहाड़ों, मंदिरों, और वन्यजीवन से समृद्ध यह क्षेत्र हर प्रकार के पर्यटक और श्रद्धालु के लिए कुछ न कुछ विशेष प्रदान करता है
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