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रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड का एक अद्वितीय जनपद

रुदप्रयाग का प्रचीन नाम पुनाड़ तथा महाभारत काल में इसे रुद्रावर्त कहते थे रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के प्रमुख जनपदों में से एक है, जिसकी स्थापना 18 सितम्बर 1997 को हुई थी। अपने ऐतिहासिक, धार्मिक, और प्राकृतिक महत्व के कारण यह जनपद विशेष रूप से प्रसिद्ध है केदारनाथ मंदिर तुंगनाथ मंदिर  जो इसकी धार्मिक सांस्कृतिक धरोहर और पहचान को दर्शाते हैं।  

प्रशासनिक और  राजनैतिक 

रुद्रप्रयाग जिले की स्थापना 16 सितम्बर 1997 में हुई थी यह क्षेत्रफल के आधार पर उत्तराखंड राज्य का सबसे छोटा जिला है  यहाँ विधान सभा सीट की संख्या 2 है रुद्रप्रयाग और केदारनाथ  है रुद्रप्रयाग जिले में तहसील की संख्या 4 तथा ब्लॉक विकास खंड की संख्या 3 है 

 

भौगोलिक विवरण

रुद्रप्रयाग में अलकनंदा व मंदाकनी नदी का संगम होता है, इस जनपद का क्षेत्रफल 1984 वर्ग किमी है , रुद्रप्रयाग उत्तराखंड का एक  पूर्ण आंतरिक जिला या स्थल अवरुद्ध जिला है, इसके सीमा अपने राज्य के  4 जिलों से लगती है । 1-उत्तरकाशी 2-टिहरी 3-पौड़ी 4-चमोली 

यहाँ की कुल जनसंख्या 2,42,285 है। जनसंख्या घनत्व 122 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, जो इसे एक मध्यम जनसंख्या घनत्व वाला क्षेत्र बनाता है।

प्रमुख पर्वत श्रेणी – 

भरत खंड, खर्चा खंड पुरंदर पर्वत तथा चंद्रशिला पर्वत पर राज्य का सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिर तुंगनाथ मंदिर स्थित  है l

प्रमुख झील –

भेंकताल इसका आकार अंडाकार है 

गांधी सरोवर  चोराबाड़ी ताल शरावती ताल यहाँ 1948 गांधी जी की अस्थियां विसर्जित की गयी थी  16-17 मई 2013 झील में ग्लेशियर टूटने से भीषण आपदा आयी थी l 

देवरिया ताल- झील चारों ओर जंगल से घिरी है l 

बधानी ताल – यहाँ बैसाखी मेले का आयोजन किया जाता है l 

प्राकृतिक धरोहर और वन्यजीवन

केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारणसकी स्थापना 1972 में की गयी थी यहाँ चमोली व् रुद्रप्रयाग दो जनपद में फैला है l 

कुण्ड- गौरीकुण्ड, नन्दीकुण्ड, और भौरीअमोला कुण्ड यहाँ के प्रसिद्ध कुण्ड हैं।

बुग्याल 
रुद्रप्रयाग अपने बुग्यालों (घास के मैदानों) के लिए भी प्रसिद्ध है। चोपता बुग्याल, मदमहेश्वर, और बर्मी यहाँ के प्रमुख बुग्याल हैं, जहाँ की प्राकृतिक सुंदरता मनमोहक है। चंद्रगिरी और केदारनाथ पर्वत इस क्षेत्र के प्रमुख पर्वत हैं।

प्रमुख पर्यटन स्थल

उखीमठ- यहां केदारनाथ मंदिर समिति का मुख्यालय है शीतकाल में बाबा केदार की पूजा उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में होती है इस मंदिर की स्थापना शंकराचार्य जी ने की थी l 

गुप्तकाशी- इसका महत्व काशी के समान माना जाता है यहां पर मणिकार्णिका कुंड अर्धनारीश्वर मंदिर है

 

प्रसिद्ध मंदिर और धार्मिक स्थल
रुद्रप्रयाग धार्मिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ स्थित केदारनाथ, तुंगनाथ, और मदमहेश्वर जैसे मंदिर हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, यहाँ काटेश्वर महादेव, हरियाली देवी, कार्तिकस्वामी, कालीमठ, त्रिजुगीनारायण, और ओंकारेश्वर मंदिर भी प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। इन मंदिरों में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं।

  • तुंगनाथ: यह मंदिर 3680 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जहाँ भगवान शिव की भुजा की पूजा की जाती है।
  • केदारनाथ: इस मंदिर में भगवान शिव के पिछले भाग (कूबड़) की पूजा होती है और यह कत्यूरी शैली में निर्मित है।
  • मदमहेश्वर नाथ: इसे पंचकेदारों में दूसरा केदार माना जाता है, जहाँ भगवान शिव की नाभि की पूजा होती है।

प्रमुख मेले और सांस्कृतिक आयोजन
रुद्रप्रयाग में हर साल ‘विषुवत संक्रांति’ का मेला बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह मेला स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है और इसमें दूर-दूर से पर्यटक और श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।

रुद्रप्रयाग न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता, पर्यटक स्थलों, और ऐतिहासिक धरोहरों के कारण भी विशेष स्थान रखता है। यहाँ की समृद्ध परंपराएँ, धार्मिक स्थल, और प्राकृतिक विविधताएँ इसे उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण जनपद बनाती हैं।

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