Uttarakhand-Forest-Movements

पर Guruji द्वारा प्रकाशित

स्वतंत्रता के बाद उत्तराखंड में वन आन्दोलन

किया था । 

* महिला मंगल दल का अध्यक्ष – गौरा देवी को बनाया था । 

 

चिपको आंदोलन 

 * 1972-1973 में वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकने के लिए रैणी गांव की औरतों द्वारा गौरा देवी के नेतृत्व में यह आंदोलन चलाया गया

* इस आंदोलन की शुरुआत गोपेश्वर में रैणी गांव चमोली से 26 मार्च 1972  में हुई थी

* जब वन अधिकारी द्वारा धोखे से समस्त गाँव के पुरूषों को जिला मुख्यालय बुलाया गया था  तो ऐसे में रैणी गांव की महिलायें गौरा देवी के नेतृत्व में पेड़ों को काटने से रोकने के लिए पेड़ों से चिपक गई थी विवश होकर वन अधिकारी को गांव से जाना पड़ा था बिना पेड़ काटे अतः इसे चिपको आंदोलन कहा जाता है

चिपको आंदोलन के प्रसिद्ध नारे

* मार दो गोली काट दो मेरा मायका यह कथन गौरा देवी का है

* “क्या हैं इस जंगल के उपकार,मिट्टी पानी और बयार जिन्दा रहने के आधार”

 

* गौरा देवी को चिपको वुमन के नाम से जाना जाता है

* गौरा देवी के पति का नाम मेहरबान सिंह था

*1986 में गौरा देवी को इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी वृक्ष मित्र पुरस्कार प्रदान किया गया यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली राज्य की प्रथम महिला है

* घनश्याम रतूड़ी सैलानी  को चिपको आंदोलन का कवि कहा जाता है । 

* बाद में चिपको आंदोलन से चंडी प्रसाद भट्ट  व सुन्दर लाल बहुगुणा जुड़े चंडी प्रसाद भट्ट ने चिपको आंदोलन को प्रसिद्धि दिलाई थी । 

चिपको मूवमेंट: ए पीपल्स हिस्ट्री शेखर पाठक द्वारा लिखी गयी पुस्तक है l 

छिनों झपटों आन्दोलन

* आंदोलन का क्षेत्र –  चमोली (नन्दा देवी नेशनल पार्क))

* आंदोलन के नेतृत्वकर्ता – ग्रामीण जनता द्वारा यह आंदोलन किया गया

* आंदोलन का स्वरूप – नन्दा देवी नेशनल पार्क के प्रबन्ध को ग्रामीणों को सौंपने को लेकर था । 

 

डूंगी-पैंतोली आंदोलन

* आंदोलन का क्षेत्र – चमोली जनपद था । 

* आंदोलन का नेतृत्व – ग्रामीण जनता

* यह आंदोलन बांज के जंगल काटे जाने के विरोध में था । 

* जनता के विरोध के बाद सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा था । 

 

रक्षा सूत्र आंदोलन

* आंदोलन का क्षेत्र – टिहरी भिलंगना 

* आंदोलन के नेतृत्वकर्ता – सुरेश भाई

* आंदोलन का स्वरूप – वनों की कटाई को रोकने को लेकर यह आंदोलन था । 

* इस आंदोलन में महिलाओं द्वारा वृक्षों को काटने से रोकने के लिये  वृक्षों पर रक्षा सूत्र बांधे गए थे । 

* अतः इस आंदोलन को रक्षा सूत्र आंदोलन कहा जाता है । 

 

मैती आंदोलन

* आंदोलन का क्षेत्र –  चमोली (ग्वालदम) – 1996

* आंदोलन के नेतृत्वकर्ता कल्याण सिंह रावत

* आंदोलन का स्वरूप – मैती शब्द का अर्थ है मायका

* इस आंदोलन में विवाह के शुभ अवसर पर वर-वधु  पौधा रोपण करते हैं । 

* जब लड़की की विदाई हो जाती तो बाद में मायके पक्ष के लोग उस पौधा की देखभाल करते है । 

 

पाणी राखो आंदोलन

* आंदोलन का क्षेत्र- (उफरैं खाल गांव ) पौड़ी गढ़वाल । 

* आंदोलन के नेतृत्व कर्ता –  सच्चिदानंद भारती

* आंदोलन का स्वरूप – पानी की कमी को दूर करने के लिये

* आंदोलन  के दौरान संगठन  का गठन – दूधातोली लोक विकास संस्थान  का गठन किया गया था सच्चिदानंद भारती द्वारा  उस क्षेत्र में जन जाग्राति की गयी थी, महिला मंगल दल बनायें गये, पुरूषों,महिलाओं,युवाओं बच्चों,  द्वारा कई लाख पेड़ लगाए गए थे । 

 

 

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5 टिप्पणियाँ

Ganesh arya · नवम्बर 20, 2020 पर 12:50 पूर्वाह्न

Nice sir ji

Himanshu Rastogi · नवम्बर 24, 2020 पर 12:37 अपराह्न

Good notes guru ji

Jitendra Dasila · जनवरी 21, 2021 पर 8:11 अपराह्न

❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏

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