उत्तराखंड के प्रमुख पर्यावरणविद – पार्ट-2

पर Guruji द्वारा प्रकाशित

सुंदरलाल लाल बहुगुणा

 

* उपनाम – पर्यावरण गाँधी

* जन्म वर्ष – 9 जनवरी 1927

* मृत्यु 21 मई 2021

* जन्म स्थान -टिहरी – सिलयार (मरोड़) गांव 

* पिता का नाम – श्री अम्बादत्त बहुगुणा

* माता का नाम – 

*  पत्नी का नाम – श्रीमती विमला नौटियाल

 

प्रारम्भिक जीवन 

 * सुन्दर लाल बहुगुणा ने कला वर्ग से स्नातक करने के बाद सामाजिक कार्य में रूचि लेना प्रारम्भ किया

* टिहरी रियासत के विरुद्ध जनांदोलन में भाग लिया समाज में व्यापत जातिगत वर्ण व्यवस्था के विरुद्ध अपनी आवाज को बुलंद किया था ।

* मीराबेन व ठक्कर बाप्पा से मुलाकात के बाद इनके जीवन में गहरा प्रभाव पड़ा इसके बाद इन्होंने टिहरी में दलितों के उत्थान के लिय कार्य किया दलितों को मन्दिर में प्रवेश दिलाने के लिये आन्दोलन का सहारा लिया था 1975 में

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी द्वारा जातिगत वर्ण व्यवस्था की दीवार को ढहाते हुए दलितों को यमनोत्री,गंगोत्री बूढ़ाकेदार के मन्दिरों में प्रवेश दिलाने में सहयोग किया था ।

* दलितोंत्थान के लिये टिहरी में 1950 में  दलित छात्रों के लिये ठक्कर बाप्पा हास्टल की स्थापना की थी ।

* अपनी पत्नी विमला के सहयोग से इन्होंने सियार में पर्वतीय नवजीवन मंडल की स्थापना की थी ।

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी ने उत्तराखंड में शराब बंदी नशा मुक्ति आन्दोलन में बढ़ चढकर भाग लिया था ।

* वनों की कटाई को रोकने के लिये आन्दोलन चलाये तथा चिपको आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई चिपको आन्दोलन के दौरान इनका कथन नारा प्रसिद्ध हुआ था । 

* “क्या है इस जंगल के उपकार मिट्टी पानी और  बयार जिन्दा रहने के आधार”

* “हिमालय बचाओं देशबचाओं ” जैसे नारे दिये थे ।

* सुंदर लाल बहुगुणा जी को विश्व भर में वृक्ष मित्र के नाम से जाना जाता है व  इनको पर्यावरण गांधी भी कहा जाता है क्योंकि इनके द्वारा चिपको आंदोलन को  विश्व स्तर पर प्रसिद्धी व पहचान दी लाई गयी थी ।

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी ने टिहरी बांध का विरोध किया तथा टिहरी बांध विरोधी समिति में सक्रिय कार्य किया था ।

चंडी प्रसाद भट्ट जी को प्राप्त प्रमुख पुरस्कार सम्मान

* 1981 में सुंदरलालबहुगुणा जी को पद्म श्री पुरस्कार के लिए नामित कर दिया गया लेकिन उन्होंने इस पुरस्कार को स्वीकार करने से मना कर दिया कारण यह बताया की  जब तक देश में पेड़ों की कटाई को रोका नहीं जाता है तब तक मैं इस पुरस्कार को लेने योग्य नहीं हूँ ।

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी को 1984 में दशरथ मल सिंधवी पुरस्कार प्राप्त हुआ था ।

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी को वर्ष 1985 में वृक्ष मित्र पुरस्कार प्राप्त हुआ था ।

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी को 1987 राइट लवलीहुड पुरस्कार प्राप्त हुआ था ।

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी को 1987 में शेरे कश्मीर पुरस्कार प्राप्त हुआ था ।

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी को 1987 में सरस्वती पुरस्कार प्राप्त हुआ था ।

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी को 1987 आई०आई०टी० रुड़की द्वारा डाक्टर आफ सोशल सांईस  की मानद उपाधि दी गयी थी ।

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी को 1998 में पहल सम्मान प्राप्त हुआ था ।

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी को 1999 में गाँधी सेवा सम्मान प्राप्त हुआ था ।

* सुन्दरलाल बहुगुणा जी को 2001 में गाँधी सेवा सम्मान प्राप्त हुआ था ।

* सुंदरलाल लाल बहुगुणा जी ने अपने साहित्य ‘ धर्मयुग’  में गंगा का शक्ति रूप से लेख भी लिखे थे ।

* धरती की पुकार सुंदरलाल लाल बहुगुणा जी की प्रमुख पुस्तक है ।

* सुंदरलाल लाल बहुगुणा जी पर लिखी गयी पुस्तक है- हिमालय में महात्मा गाँधी के सिपाही सुन्दर लाल बहुगुणा इस पुस्तक के लेखक  – डा० के० एस० वाल्दिया है ।

* सुंदर लाल बहुगुणा  जी का पर्यावरण के संवर्धन,सामाजिक क्षेत्र,समाज सेवा वनों की कटाई को रुकवाने में इनका योगदान अतुलन्य है जिसको कभी भुलाया नही जा सकता यह हमारे लिये सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगें, सुंदरलाल लाल बहुगुणा जी के इस प्रकृति  के प्रति प्रेम लगाव के कारण  पर्यावरण गाँधी भी कहते है ।

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2 टिप्पणियाँ

Ganesh arya · नवम्बर 19, 2020 पर 7:18 पूर्वाह्न

Nice information guru ji dhanywad

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