उत्तराखंड वैदिक काल- साहित्य में उत्तराखंड उल्लेख

1- उत्तराखण्ड का प्रथम उल्लेख हमें प्राप्त हुआ है- ऋग्वेद से
5- पुराण का शाब्दिक अर्थ ‘प्राचीन आख्यान’ होता हैै।
नोट- पुरानों के संकलनकर्ता ऋषि लोमहर्ष व अनके पुत्र उग्रस्राव
6- पुराण की संख्या कितनी है – 18
मत्स्य, मार्कण्डेय,भविष्य,भगवत, ब्राहाण्ड़, ब्राहवैवर्त, ब्रहा, वामन,वराह, विष्णु, वायु, अग्नि, नारद, पद्म, लिंग,गरूण, कूर्म एंव स्कन्द ।
7- सबसे प्राचीन पुराणः- मत्स्य पुराण है ।
8- पुराणों के अंतर्गत हम प्राचीन शासकों की वंशावली पाते हैं।
* विष्णु पुराण का संबध मौर्य वंश से है।
* मत्स्य पुराण का संबध सातवाहन वंश से है।
* वायुपुराण का संबध गुप्तवंश से है।
* उत्तराखंड प्रमुख उड्यार (गुफा)
9- बद्रीनाथ (चमोली ) – गणेश, स्कन्द, नारद, व्यास, मुजकुंद, रामगुफा, टिमरसैण, भरत व हनुमानगुफा, लंगासू, गरूण स्थित हैं ।
* नोटः- व्यास गुफा में महर्षि वेदव्यास जी ने जन्मेेजय को ब्राहमण हत्या के दोष निवारण के लिए महाभारत की कथा सुनाई थी ।
* व्यास जी ने यहाँ पर षष्टिलक्ष संहिता की रचना करी थी ।
10- दुश्यांत और शंकुतला का प्रेम प्रंसग से जोड़ा गया हैं- कण्वाश्रम-कोटद्वार (पौड़ी)
* नोट – कण्वाश्रम मालनी नदी के किनारे बसा है ।
* कोटद्वार शहर खोये नदी के किनारे बसा है ।
11- शकुन्तला विश्वामित्र व अप्सरा मेनका की पुत्री थी राजा दुष्यंत हस्तिनापुर के शासक थे ।
12- चक्रवाती सम्राट भारत की जन्मस्थली भी कण्वाश्रम है ।
13- कण्वाश्रम में महाकवि कालिदास जी द्वारा अभिज्ञानशाकुन्तलम् की रचना की गई थी।
महाकवि कालिदास के प्रमुख ग्रंथ
* ऋतुसंहार,
* मेघदूत,
* कुमारसंभव,
* रघुवंश,
* मालविकाग्निमित्र,
* विक्रमोर्वशीय,
* अभिज्ञानशांकुतलम्
14- सीतावनी – रामनगर यहाँ पर कुछ दूरी पर महार्षि बाल्मिकी का आश्रम भी है ।
15 – श्रीनगर – प्राचीन नाम श्रीक्षेत्र यहां पर सुबाहु नामक शासक ने महाभारत युद्ध में भाग लिया था ।
16- बौद्ध साहित्य में उत्तराखंड को हिमवंत कहा गया है ।
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