गढ़वाल शैली या पहाड़ी चित्र शैली

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गढ़वाल चित्र शैली

 

 

* 16 वी से 19 वी शती ईसवी में जम्मू कश्मीर से हिमाचल उत्तराखंड तक जो चित्रशैली प्रचलित रही उसे पहाड़ी चित्रशैली शैली कहा जाता है गढ़वाल चित्रशैली पहाड़ी चित्रशैली का एक प्रधान रूप है जिसका विकास मई 1668 में हुआ था । गढ़वाल चित्रकला पर प्रभाव कागड़ा शैली का प्रभाव देखा जा सकता  है ।

 

* हरदास का पुत्र हीरालाल ने गढ़वाल शैली की शुरुआत की  थी।

* गढ़वाल चित्रशैली का सूत्रपात हरदास के पुत्र हीरालाल के समय हुआ ।

* हीरालाल के पुत्र का  नाम मंगत राम था ।

* मंगत राम के पुत्र का नाम मोलाराम था और मोलाराम गढ़वाल चित्रशैली के एक महान चित्रकार थे ।

 

* मोलाराम के चित्रों में गढ़वाल चित्रशैली अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंची थी ।

1803 के विनाशकारी भूकंप में अजयपाल द्वारा बनाया गया श्रीनगर में स्थित भवन ध्वस्त हो गया था और वह चित्रशाला भी जहाँ गढ़वाल चित्रशैली के चित्रों का संग्रह था ।

 

उत्तराखंड प्रमुख चित्र संग्रहालय

* मोलाराम चित्र संग्रहालय – श्रीनगर( पौड़ी गढ़वाल )

* कुवंर विचित्र शाह संग्रहालय – टिहरी 

* महाराजा नरेन्द्रशाह संग्रहालय – नरेन्द्र नगर टिहरी

* राव वीरेन्द्र शाह संग्रहालय – देहरादून 

* गढ़वाल विश्वविधालय संग्रहालय श्रीनगर गढ़वाल  ( पौड़ी)

* गिरजा किशोर  जोशी संग्रहालय – अल्मोड़ा 

* लोक संस्कृत संग्रहालय – भीमताल नैनीताल 

 

भारत में बहुत से ऐसे संग्रहालय जहाँ गढवालशैली खोजा जा सकता है ।

* राज्य संग्रहालय- लखनऊ (उत्तरप्रदेश)

* भारत कला भवन – वाराणसी (उत्तरप्रदेश)

* सीताराम शाह संग्रहालय – वाराणसी (उत्तरप्रदेश)

*  राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली

* ओंकार चन्द सूद संग्रहालय – शिमला (हिमाचल)

* अजीत घोष संग्रहालय – कोलकत्ता (पं० बंगाल )

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1 टिप्पणी

Pintoo · नवम्बर 19, 2020 पर 1:14 पूर्वाह्न

Nice guru ji

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