ज्ञानपीठ पुरस्कार

ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार है l
ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना 1961 में की गई जिसकी शुरुआत 1965 में हुई थी
इसे भारतीय साहित्य का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है l
यह पुरस्कार ज्ञानपीठ ट्रस्ट द्वारा दिया जाता है l
ज्ञानपीठ पुरस्कार की राशि वर्तमान में 11 लाख रुपए है, व वाग देवी की कांस्य प्रतिमा तथा प्रशस्ति पत्र दिया जाता है l
जब ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत हुई थी, तो इसकी पुरस्कार राशि एक लाख रुपए फिर इसकी राशि 7 लाख रुपए हुई
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय संविधान में आठवीं अनुसूची में वर्णित 22 भाषाओं को लिए दिया जाता है l
2018 में पहली बार अंग्रेजी साहित्य में योगदान के लिए अमिताभ घोष को दिया गया था l
ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रारंभ में साहित्यकार को उसकी एकल कृति के लिए दिया जाता था लेकिन 1982 के बाद साहित्य योगदान के लिए दिया जाता है l
प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले व्यक्ति हैं – जी शंकर मलयालम भाषा के लिए दिया गया l
प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाली महिला हैं- आशापूर्णा देवी बांग्ला भाषा के लिए दिया गया l
हिंदी भाषा में ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाली प्रथम व्यक्ति सुमित्रानंदन पंत (चिदंबरा ) -1968
हिंदी भाषा में ज्ञानपीठ पुरस्कार वाली प्रथम महिला – महादेवी (वर्मा यामा) – 1982
उर्दू भाषा में ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने प्रथम प्रथम व्यक्ति – फिराक गोरखपुरी – 1969
संस्कृत भाषा में ज्ञानपीठ पुरस्कार वाली प्रथम महिला – सत्यव्रत शास्त्री — 2006
हिंदी भाषा में ज्ञानपीठ पुरस्कार 11 बार दिया गया
बांग्ला भाषा में ज्ञानपीठ पुरस्कार 5 बार दिया गया
मलयालम भाषा के लिए ज्ञानपीठ 6 बार दिया गया
2022 में दामोदर मौऊजो कोकोंकणी भाषा के लिए दिया गया था
2023 के लिए 58 वा ज्ञानपीठ पुरस्कार
संस्कृत विद्वान जगतगुरु रामभद्राचार्य तथा उर्दू कवि और गीतकार गुलजार को दिया गया है l
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