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      नैना देवी मंदिर (नैनीताल)

 

उत्तराखंड में नैनादेवी मंदिर का ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्त्व है इसे 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है जनश्रुति के अनुसार माँ सती की आंखे यहाँ गिरी थी अतः यहाँ देवी के आँखों के रूप में पूजा होती है l

  नैना देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में स्थित है शिव पत्नी नंदा( पार्वती) का ही स्वरूप नैना देवी है l उन्हीं के नाम से यहां स्थित ताल का नाम नैनीताल पड़ा है l

 

 

नैना देवी मंदिर के बारे में इतिहासकरों  के तथ्य

नैना देवी मंदिर का अस्तित्व  पी बैरन द्वारा की गयी  नैनीताल की खोज से भी पहले से मौजूद था ,जिसकी स्थिति तल्लीताल डाकघर के समीप थी l

कुछ इतिहास करों का मांनना है कि कत्यूरी राजा पिथौरा की पत्नी जिया रानी जब तीर्थ यात्रा के लिए निकली थी तो वह भीमताल में रात्रि विश्राम करते हुए नैनीताल पहुंची वहीं उन्होंने तल्लीताल  डाकघर के पीछे गर्म पानी के स्रोत के पास नैना देवी की स्थापना की थी

आधुनिक नंदा देवी मंदिर की स्थापना का श्रेय लाल मोतीराम शाह को जाता है 

दुर्भाग्यवस 1880 के भूस्खलन में एवं मंदिर नष्ट हो गया मोतीराम के पुत्र अमरनाथ सिंह ने  मंदिर का निर्माण नए सिरे से वर्तमान स्थान पर किया जो सन 1883 में बनकर पूर्ण हुआ था l

 

 भाद्रपद शुक्ल अष्टमी ( सितंबर) को नंदा अष्टमी का विशेष मेला लगता है l

कुमाऊं की कुलदेवी मां नंदा व सुनंदा की प्रतिमाएं मंदिर में ही बनाई जाती है.मंदिर में आठ दिन तक उत्सव मनाया जाता है  8 दिन बाद मूर्तियों को डोले में रखकर पारंपरिक उपादानों से नगर के मुख्य मार्ग पर उसकी शोभायात्रा निकाली जाती है l 

मां नैना देवी की स्थापना दिवस ज्येष्ठ शुक्ल नवमी (लगभग 17 जून )को मनाया जाता है जिसमें मंदिर प्रांगण में विशेष धार्मिक आयोजन संपन्न होते हैं

 

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