भारत में प्रमुख फसल क्रांति

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हरित क्रांति (Green Revolution)

विश्व स्तर पर हरित क्रांति की शुरुआत साल 1960 मे मेक्सिको में हुई थी।

विश्व में  हरित क्रांति शब्द का सबसे पहले प्रयोग विलियम गाड द्वारा किया गया था।

वैश्विक स्तर पर डॉ नॉर्मन बोरलॉग को हरित क्रांति का जनक माना जाता है।

विश्व में नॉर्मन बोरलॉग एकमात्र ऐसे कृषि वैज्ञानिक है जिनको शांति का नोबेल पुरस्कार मिला है l

वैश्विक स्तर पर भी चावल के उत्पादन मे हरित क्रांति के बाद अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गयी थी।

फिलीपींस में चावल की खेती में सबसे अधिक सफलता मिली थी।

अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र, मनीला, फिलीपींस में स्थित है।

विश्व गेहूं अनुसंधान केंद्र मेक्सिको में स्थित है ।

राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र कटक उड़ीसा में स्थित है।

भारत में हरित क्रांति गेंहू और चावल उत्पादन के सम्बन्ध में हुई थी।

भारत में हरित क्रांति  की शुरुआत साल 1966-67 के बीच मानी जाती है।

हरित क्रांति के समय भारत के कृषि मंत्री – चिदंबरम सुब्रमण्यम थे ।

भारत मे हरित क्रांति के जनक एम0एस स्वामीनाथन थे।

एम0 एस स्वामीनाथन केरल के एक कृषि वैज्ञानिक थे ।

 हरित क्रांति के दौरान खेती में उच्च उपज देने वाली किस्मों (High Yielding Varieties- HYVs) बीजों का प्रयोग किया गया, आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल, सिंचाई की व्यवस्था, कृत्रिम खादों एवं कीटनाशकों के प्रयोग आदि से गेहूं और चावल के उत्पादन में वृद्धि लायी गयी।

 

सफेद क्रांति(White Revolution)

इसे ऑपरेशन फ्लड के नाम से भी जाना जाता है l

सफेद क्रांति की शुरुआत 1970 गुजरात  से हुई थी l

सफेद क्रांति का जनक डॉक्टर वर्गीज कुरियन है l

1970 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड  की स्थापना हुई l

जिसका उद्देश्य डेयरी विकास को बढ़ाना था l 

इसके लिए सहकारी समितियां की स्थापना की गई l

 

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