Dehradun district information

देहरादून डिस्ट्रिक जी जानकारी : उत्तराखंड के प्रमुख जिले का परिचय
देहरादून, उत्तराखंड राज्य का एक महत्वपूर्ण जिला है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर हिमालय की तलहटी में स्थित है और इसे ‘दून घाटी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह नगर उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी भी है। देहरादून का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व इसके प्राचीन नामों से भी झलकता है, जिनमें पृथ्वीपुर, शिव भूमि, द्रोणघाटी, और सुघनगर शामिल हैं।
स्थापना और इतिहास
देहरादून की स्थापना 1817 में हुई थी। यह जिला गढ़वाल मण्डल के अंतर्गत आता है और इसे नगर निगम का दर्जा 09 दिसम्बर 1998 को प्राप्त हुआ था। देहरादून का नाम ‘द्रोण आश्रम’ से उत्पन्न हुआ है, जिसे गुरु द्रोणाचार्य की तपोस्थली माना जाता है। स्थानीय कथाओं के अनुसार, गुरु राम राय ने यहां ‘देह त्याग’ किया था, जिसके कारण इसका नाम ‘डेरा’ से ‘देहरादून’ पड़ा।
भौगोलिक स्थिति
देहरादून की सीमा पूर्व में टिहरी और पौड़ी, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश, उत्तर में उत्तरकाशी और दक्षिण में हरिद्वार जिलों से मिलती है। पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश व हिमाचल प्रदेश से सीमा साझा करता है, यहाँ की प्रमुख नदियाँ गंगा, यमुना, टोंस और सोंग नदी हैं। दून घाटी के चारों ओर हरियाली और पर्वतों का सौंदर्य इसे एक अद्वितीय पर्यटक स्थल बनाता है।
प्रशासनिक व राजनैतिक
देहरादून उत्तराखंड राज्य की अस्थायी राजधानी है उत्तराखंड ऐसा राज्य है जिसके दो विधान सभा भवन है उनमें से एक भवन देहरादून मे स्थित है l
ब्रिटिश शासन काल में देहरादून जिले का गठन हुआ 1871 में इसे मेरठ मंडल में शामिल किया गया 1975 से यह गढ़वाल मंडल मे है देहरादून राज्य में 10 विधान सभा की सीट है 1-चकराता 2-सहसपुर 3-विकासनगर 4-धर्मपुर 5-राजपुर 6-रायपुर 7-डोईवाला 8-मसूरी 9-ऋषिकेश 10- देहरादून छावनी
देहरादून में 7 तहसील और 6 ब्लॉक है
जिस समय उत्तराखंड राज्य उत्तरपदेश में था तभी इसके नगर निगम का दर्जा दिया गया था 1998 यह राज्य की पहली नगर निगम है
राज्य की प्रथम नगर पालिका मेयर मनोरमा शर्मा डोबरियाल है
प्रमुख झरने और दर्रे
- टाइगर फॉल, हार्डी फॉल, और भट्टा जलप्रपात मालदेता जलप्रपात देहरादून के प्रसिद्ध झरने हैं, जहाँ पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं।
- तिमली पास यहां का प्रमुख दर्रा है, मोहन पास जो पर्वतीय मार्गों के लिए महत्वपूर्ण है।
देहरादून झील
कांसरो ताल,
चंद्र बाड़ी ताल (गौतम कुंड)
सूर्यधारा लेक
जलप्रपात
सहत्रधारा बालदे नदी पर है l
मालदेवता जलप्रपात
टाइगर फॉल चकराता
गुच्चूपानी वाटर फॉल
पार्क
रामताल गार्डन चकराता हैं।
मालसी डियर पार्क इसे उत्तराखंड जू के नाम से जाना जाता है l
बटरफलाई पार्क लाक्षीवाला
देहरादून न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध है, बल्कि यह एक प्रमुख पर्यटन और शैक्षिक केंद्र के रूप में भी उभरा है।
पर्यटन स्थल
देहरादून में कई प्रसिद्ध पर्यटक स्थल हैं, जिनमें मसूरी, सहस्त्रधारा, लच्छीवाला, गुच्चूपानी, और एफ.आर.आई. म्यूजियम प्रमुख हैं। मसूरी, जिसे ‘पहाड़ों की रानी’ भी कहा जाता है, यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। लाल टिब्बा, मसूरी की सबसे ऊँची चोटी है, जहाँ से हिमालय की चोटियों का अद्भुत दृश्य देखा जा सकता है।
क्लेमनटाउन
छावनी परिषद है यह पर सबसे बड़ा प्रसिद्ध बौद्धा टेम्पल है व ग़ाफ़िक एरिया यूनिवर्सिटी है l
त्यूनी: टोंस और पाबर नदियों का संगम
त्यूनी दो प्रमुख नदियों, टोंस और पाबर के किनारे स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है। इसका प्राचीन नाम “गुदिया खाटल” था। यह स्थान न केवल प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है।
कालसी: प्राचीन व्यापारिक केंद्र और अशोक का शिलालेख
कालसी, जिसे स्थानीय रूप से सुधनगर, कालूकट और खतलिका के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन समय से एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहा है। कालसी का सबसे बड़ा ऐतिहासिक आकर्षण अशोक का शिलालेख है, जो प्राकृत भाषा में ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है। इसे पहली बार 1860 में जॉन फॉरेट द्वारा खोजा गया था, और बाद में जॉन प्रिंस ने इसे पढ़ा। इस शिलालेख में कालसी के निवासियों को पुलिंद और क्षेत्र को अपरांत कहा गया है।
खलंगा स्मारक: गोरखा और ब्रिटिश संघर्ष की वीरता का प्रतीक
नालापानी के पास स्थित खलंगा स्मारक देहरादून के ऐतिहासिक गौरव का प्रतीक है। यह स्मारक गोरखा सेनापति बलभद्र थापा और ब्रिटिश सेनापति गिलेस्पी के बीच हुए संघर्ष की याद में बनाया गया है। इसे कलंगा गढ़ी के नाम से भी जाना जाता है, और यह रिस्पना नदी के तट पर स्थित है।
लाखामंडल: महाभारत कालीन धरोहर
देहरादून के जौनसार बावर क्षेत्र में स्थित लाखामंडल का प्राचीन नाम मठ, मौण और मूर्तियों का भंडार था। यह यमुना और रिखनाड़ नदी के संगम पर स्थित है, जहां उत्तराखंडी शैली में निर्मित एक प्राचीन शिव मंदिर है। यहां से प्राप्त राजकुमारी ईश्वरा का शिलालेख इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है। महाभारत काल में लाक्षागृह भी यहीं बनाया गया था।
बैराटगढ़: पुलिंद राजा विराट की राजधानी
बैराटगढ़, जो चकराता के चौराणी चोटी पर स्थित है, महाभारत के युग से जुड़ा है। इसे पुलिंद राजा विराट की राजधानी माना जाता है, जिनकी पुत्री उत्तरा का विवाह अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से हुआ था।
हनौल: महासू देवता का प्रमुख मंदिर
टोंस नदी के किनारे बसा हनौल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है। यहां का महासू देवता मंदिर प्राचीन हण शैली में निर्मित है। हनौल का प्राचीन नाम चक्रपुर था और यह मंदिर इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का प्रमुख केंद्र है।
मसूरी: पहाड़ों की रानी
मसूरी को “पहाड़ों की रानी” के नाम से जाना जाता है और यह यमुनोत्री और गंगोत्री का प्रवेश द्वार है। इसकी स्थापना 1823 में आयरिश अफसर कैप्टन यंग ने की थी। मसूरी की सबसे ऊँची चोटी लाल टिब्बा है, जहां से आप हिमालय की अद्भुत दृश्यावली का आनंद ले सकते हैं। मसूरी के प्रमुख दर्शनीय स्थल जैसे मैसी फॉल, भट्टा फॉल, गन हिल और नाग टिब्बा इसे पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थल बनाते हैं।
ऋषिकेश: आध्यात्मिक और योग का केंद्र
गंगा और चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित ऋषिकेश, जिसे प्राचीन काल में कुब्जाम्रक और वीरभद्र के नाम से जाना जाता था, ऋषि-मुनियों की तपस्थली और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान योग और ध्यान के लिए भी विश्वभर में लोकप्रिय है। यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में लक्ष्मण झूला, मुनि की रेती, स्वर्गाश्रम और तपोवन शामिल हैं।
धार्मिक महत्व
देहरादून के धार्मिक स्थल भी इसे महत्वपूर्ण बनाते हैं। यहाँ के प्रमुख मंदिरों में टपकेश्वर महादेव, संतलादेवी, और महासू देवता मंदिर शामिल हैं। इसके अलावा, लाखामंडल क्षेत्र महाभारत काल से जुड़ा है और यहाँ शिव मंदिर स्थित है। ऋषिकेश, जिसे ‘संत नगरी’ कहा जाता है, धार्मिक और योग साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
प्रमुख मेले और उत्सव
देहरादून के प्रमुख मेलों में जौनसारी भाबर का मेला, झंडा मेला, बिस्सू मेला और शरदोत्सव प्रमुख हैं। इन मेलों में स्थानीय संस्कृति और परंपराओं की झलक देखने को मिलती है।
शिक्षा और संस्थान
देहरादून शिक्षा का प्रमुख केंद्र भी है। यहाँ कई प्रतिष्ठित संस्थान स्थित हैं, जिनमें
भारतीय सैन्य अकादमी (IMA),
वन अनुसंधान संस्थान (FRI),
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (मसूरी)
दून विश्वविद्यालय
ओएनजीसी, इण्डियन
इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम,
हिमालय इंस्टीट्यूट, और अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान (ऋषिकेश)
अर्थव्यवस्था और कृषि
देहरादून की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, पर्यटन, और शिक्षा पर आधारित है। यह शहर ‘लीची नगर’ के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यहाँ की लीची देशभर में प्रसिद्ध है। इसके अलावा, यहाँ का वानिकी और औषधीय पौधों का उत्पादन भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
संस्कृति और विरासत
देहरादून की सांस्कृतिक धरोहर बहुत समृद्ध है। यहाँ का खुड़बुड़ा नामक ऐतिहासिक स्थल और 1804 में हुआ खुड़बुड़ा का युद्ध ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, देहरादून के नालापानी में स्थित खलंगा स्मारक गोरखा सेनानायक बलभद्र थापा और ब्रिटिश सेनापति गिलेस्पी की वीरता की गाथा को संजोए हुए है।
देहरादून न केवल प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक महत्व भी इसे एक अनूठा शहर बनाता है। यह जिला उत्तराखंड की समृद्ध विरासत और विकास का प्रतीक है, जहाँ परंपराओं और आधुनिकता का अद्भुत संगम देखा जा सकता है।
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