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द्वाराहाट मंदिर समूह: उत्तराखंड का सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर

 

उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जनपद में स्थित ऐतिहासिक नगर द्वाराहाट अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इस नगर को ‘उत्तर की द्वारिका’ के नाम से भी जाना जाता है। पर्वतीय घाटियों में स्थित, द्वाराहाट का विशेष धार्मिक महत्व है, क्योंकि यह नगर शक्तिपीठ दूनागिरी के समीप स्थित है। यहाँ के निवासियों में धार्मिक आस्था गहरी बसी हुई है और यही कारण है कि यहाँ मंदिरों का अनूठा समूह देखने को मिलता है।

द्वाराहाट के उपनाम मंदिरों की नगरी और मीठी मूली के क्षेत्र के रूप में भी पहचाना जाता है। यहाँ के मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि कला और शिल्प में उत्कृष्टता का प्रतीक भी हैं। इस नगर में विद्यमान 30 प्रमुख मंदिर और 365 जल स्रोत यहाँ की समृद्ध संस्कृति और परंपरा का प्रतीक हैं। यहाँ के मंदिरों की स्थापत्य कला वाराणसी और मथुरा के मंदिरों से भी तुलना करने योग्य है।

द्वाराहाट मंदिर समूह: कत्यूरी राजाओं की धरोहर

द्वाराहाट में मौजूद मंदिर समूह कत्यूरी राजाओं के धार्मिक और सांस्कृतिक प्रेम का प्रतीक है। ये मंदिर वास्तुकला और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम हैं। यहाँ पर विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित मंदिर स्थित हैं। इन प्रमुख मंदिरों में मृत्युंजय, बद्रीनाथ, मनियाल, रतन देव, कचहरी और गुर्जर देव मंदिर शामिल हैं।

1. गुर्जर देव मंदिर
द्वाराहाट मंदिर समूह का सबसे बड़ा और प्रमुख मंदिर है। गुर्जर देव मंदिर की स्थापत्य कला इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है। यहाँ का शांत वातावरण और अद्वितीय स्थापत्य भक्तों को एक अलग ही अनुभव प्रदान करते हैं।

2. मृत्युंजय मंदिर
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर द्वाराहाट का मुख्य आकर्षण है। नागर शैली में निर्मित इस मंदिर में गर्भगृह, अंतराल और मंडप का समावेश है। मृत्युंजय मंदिर की कलात्मकता और पवित्रता हर आगंतुक का मन मोह लेती है।

3. मनियाल मंदिर समूह
सात मंदिरों के इस समूह में एक मंदिर पूर्ण रूप से संरक्षित है जबकि अन्य क्षतिग्रस्त अवस्था में हैं। इस मंदिर समूह को ‘मनदेव’ या ‘मनिया’ के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान द्वाराहाट के धार्मिक महत्व को और बढ़ाता है।

4. द्वाराहाट के शक्ति मंदिर
द्वाराहाट में स्थित शीतला देवी, कोटकांगड़ा देवी, कालिका और मनसा देवी के मंदिर विशेष रूप से शक्तिस्वरूपा देवियों को समर्पित हैं। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिकता भक्तों को एक अलौकिक अनुभव प्रदान करती है।

सांस्कृतिक महत्व और धार्मिक आस्था

द्वाराहाट का सांस्कृतिक महत्व यहाँ के लोगों की आस्था और परंपरा में गहराई से समाया हुआ है। यहाँ के पाली-पछाऊ समुदाय इसे ‘उत्तर की द्वारिका’ कहते हैं। इस क्षेत्र में मौजूद अद्वितीय शिल्प और स्थापत्य कला कत्यूरी राजाओं की धर्मनिष्ठा और कला के प्रति प्रेम को दर्शाती है।

इस प्रकार, द्वाराहाट अपने आप में एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है। इसके मंदिरों के शिल्प और प्राकृतिक सौंदर्य में घिरी यह भूमि भारत के अन्य पवित्र तीर्थस्थलों के समान ही पूजनीय है।

 
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