उत्तराखंड के प्रमुख वन आन्दोलन

पर Guruji द्वारा प्रकाशित

* उत्तराखंड राज्य में वन आन्दोलन का इतिहास ब्रिटिश शासन काल से प्रारम्भ माना जाता है जब उत्तराखंड में 1815 में  गोरखा  को पराजित करने के पश्चात उत्तराखंड में ब्रिटिश शासन की शुरुआत हुई तो अंग्रेजों ने राज्य में आधुनिकीकरण करने के लिये नगरों को बसाया व भवनों-इमारतों, का विकास किया साथ ही साथ परिवहन के साधन मोटरगाड़ी, रेलवे  लाइने बिछाई  आधुनिकीकरण के इस दौर में वनों की अंधा-धुंद कटाई प्रारम्भ की गयी थी । 

* 1865  भारत में प्रथम वन नीति जारी की गयी थी   

अंग्रेजों ने  वन नीति व वन कानून बनाकर वनों को संरक्षित किया व राज्य के स्थानीय ग्रामीणों के अधिकारों को सीमित कर दिया था  ग्रामीण बिना अंग्रेजी डिप्टी कमिश्नर के अनुमति के वनों में लकड़ी काटना, शिकार आदि क्रिया-कलाप  नहीं कर सकते थे, अंग्रेजों ने  बेनाप भूमि को कृषि भूमि में शामिल कर दिया था,उस दौर में अधिकांश जनता वनों पर निर्भर थी वनों पर अपने अधिकारों को सीमित होता देख उस समय वनों पर अधिकारों को लेकर वन आन्दोलन शुरआत की गयी। 

 

ब्रिटिश काल के प्रमुख वन आन्दोलन

1- कुंजणी वन आन्दोलन

* आन्दोलन क्षेत्र- हेवल नदी घाटी (टिहरी रियासत)

* नेतृत्व कर्ता – ग्रामीण जनता

* कारण – वन निति वन कानून को लेकर 

* टिहरी रियासत शासक – कीर्ति शाह

 

2- खास पट्टी आन्दोलन 

* आन्दोलन क्षेत्र – टिहरी रियासत

* नेतृत्व कर्ता – ग्रामीण जनता

* टिहरी रियासत शासक – कीर्ति शाह 

* कारण – वन निति वन कानून को लेकर व  गाँव के पास के वन एवं  बंजर भूमि को आरक्षित वन घोषित करने को लेकर

 

3- सोमेश्वर टोटाशिलिंग वनाग्निकांड (1920-1921)

* आन्दोलन क्षेत्र – सोमेश्वर (अल्मोड़ा)

* स्थानीय जनता द्वारा जंगलों की आग बुझाने में ब्रिटिशर को सहयोग न देना था

 

4- सोमेश्वर – थकलोड़ी वनाग्निकांड 

(1920-1921)

* आन्दोलन क्षेत्र – सोमेश्वर (अल्मोड़ा)

* स्थानीय जनता द्वारा जंगलों की आग बुझाने में ब्रिटिशर को सहयोग न देना था । 

* जंगलों में आग लगाने के आरोप में दुर्गा देवी की गिरफ्तार किया गया था, यह प्रथम महिला है क्षेत्रीय व राष्ट्रीय आन्दोलन में गिरफ्तार होने वाली 

5- तिलाड़ी रवांई कांड

(30 मई 1930)

* आन्दोलन क्षेत्र – टिहरी रियासत

* टिहरी रियासत शासक – नरेंद्रशाह

* इस कांड को टिहरी का जलियावाला बाग हत्या कांड भी कहते है। 

* टिहरी रियासत शासक नरेंद्रशाह के दीवान द्वारा निहत्थे आन्दोलनकारी पर गोलिया चलाई गयी । 

* आज भी टिहरी में तिलाड़ी या रवांई कांड की स्मृति में 30 मई को शहीद दिवस मनाया जाता है । 

 

 

 

 

श्रेणी:

9 टिप्पणियाँ

Jitendra Dasila · अगस्त 9, 2020 पर 3:47 अपराह्न

धन्यवाद सर, जो हमारी इतनी मदद कर रहे हैं, हमें आपकी वेबसाइट से लॉकडाउन में बहुत मदद मिल रही है।
Tqq so much sir 🙏🙏🙏

Himanshu Rastogi · नवम्बर 19, 2020 पर 3:12 अपराह्न

Thanks Guruji Apne bahut badiya notes banaye hai

Saif ANSHARI · नवम्बर 19, 2020 पर 7:10 अपराह्न

very useful for us thanks sir

Ganesh arya · नवम्बर 20, 2020 पर 1:14 पूर्वाह्न

Dhanywad sir ji

Rohit kanyal · जनवरी 18, 2021 पर 11:57 पूर्वाह्न

Thank u bhaiya इतनी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए इससे हमें काफी मदद मिल रही है 🙏

प्रातिक्रिया दे

Avatar placeholder

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *