उत्तराखंड के प्रमुख पर्यावरणविद-part-4

गौरादेवी
* गौरा देवी भोटिया जनजाति की उपजाति – मारछा जाति से सम्बन्ध रखती थी ।
* पति का नाम – मेहरबान सिंह ( तोरछा जनजाति से थी )
* गौरा देवी की मृत्यु – 4 जुलाई 1991
* गौरा देवी के पति का देहान्त शादी के कुछ वर्ष बाद हो गया था उसके बाद गौरा देवी ने अपना सारा जीवन पर्यावरण को समर्पित कर दिया था
* 1964 में गौरा देवी दशोली ग्राम स्वराज मंडल संघ से जुड़ी जिसकी स्थापना चंडी प्रसाद ने की थी ।
* गौरा देवी दशोली ग्राम स्वराज मंडल संघ की अध्यक्ष रही थी ।
1974 में सरकार द्वारा यह घोषणा की गयी कि रैनी गाँव होकर सड़क निर्माण किया जायेगा जिसके लिये हजारों पेड़ों को काटा जायेगा ।
* 23 मार्च 1974 पेड़ों को काटने को लेकर गोपेश्वर में रैली निकाली गयी इस रैली का नेतृत्व गौरा देवी ने किया था ।
* 26 मार्च 1974 को सरकार द्वारा गाँव के जीतने भी मर्द थे उन्हें साजिश के तहत जिला मुख्यालय बुलाया गया था ।
* सरकरी अधिकारी गाँव पेड़ काटने पहुंच गये लेकिन गौरा देवी के नेतृत्व में महिलायें पेड़ से चिपक गयी और पेड़ों को काटने नहीं दिया, यह घटना उत्तराखंड में चिपको आन्दोलन के नाम से जानी जाती है ।
* 19 नवम्बर1986 गौरा देवी को प्रथम वृक्ष मित्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया था यह पुरस्कार पाने वाली राज्य की प्रथम महिला बनी ।
* चिपको आन्दोलन को 1987 को सम्यक जीविका पुरस्कार (राईट लवलीहुड पुरस्कार) से सम्मानित किया गया था ।
* नन्दा – गौरा योजना राज्य सरकार द्वारा 1 जनवरी 2018 शुरआत की इसका मुख्य उद्देश्य बीपीएल कार्डधारक परिवार की बेटियों के अच्छे आर्थिक सहायता देना कुल धनराशि 51,000 रूपये दिये जाते है ।
2 टिप्पणियाँ
Ganesh arya · नवम्बर 19, 2020 पर 5:16 पूर्वाह्न
very nice guru ji
Guruji · नवम्बर 19, 2020 पर 12:20 अपराह्न
thanks