कुमाऊंनी का आदि कवि भी कहा जाता है  तथा   उत्तराखंड के प्रथम कवि के रूप में भी जाना जाता है l लोकरत्न पंत को सर्वप्रथम गुमानी पंत की उपाधि काशीपुर के राजा गुमान सिंह ने दी थी l

gumani pant-lokratan pant

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            गुमानी पंत  

 

 

मूल नाम   –           लोकरत्न पंत 

जन्म  स्थान    –  काशीपुर उधमसिंग नगर 

जन्म  तिथि   – 11 मार्च 1970 

मृत्यु             –  1846 

पिता का नाम      – देवनिधि पंत

 माता का नाम      – देव मंजरी

कुमाऊंनी का आदि कवि भी कहा जाता है  तथा   उत्तराखंड के प्रथम कवि के रूप में भी जाना जाता है l

लोकरत्न पंत को सर्वप्रथम गुमानी पंत की उपाधि काशीपुर के राजा गुमान सिंह ने दी थी l

 गुमानी पंत काशीपुर राज्य के राज कवि थे वे संस्कृति और हिंदी के साथ-साथ कुमाऊनी तथा नेपाली भाषा के प्रथम कवि थे l

कुछ इतिहासकार  लोग उन्हें खड़ी बोली का प्रथम कवि भी मानते हैं l

ग्रियर्सन  ने अपनी पुस्तक लिंग्विस्टिक सर्वे आफ इंडिया में गुमानी जी को कुमाऊं का सबसे  प्राचीन कवि माना था l

डॉक्टर भगत सिंह के अनुसार कुमाऊनी में लिखित साहित्य की परंपरा 19वीं शताब्दी से मिलती है और यह परंपरा प्रथम कवि गुमानी पंत जी से लेकर आज तक चली आ रही है l

राजकवि के रूप में गुमानी पंत जी को सर्वप्रथम काशीपुर नरेश गुमान सिंह देव की सभा में नियुक्ति किया गया था l

काशीपुर के राजा गुमान सिंह के दरबार में इनका बड़ा मान सम्मान था कुछ समय तक गुमानी जी टिहरी नरेश सुदर्शन शाह के दरबार में भी रही l

लोकरत्न पंत को सर्वप्रथम गुमानी पंत की उपाधि काशीपुर के राजा गुमान सिंह ने दी थी l

लोकरत्न पंत जी की रचनाओं सर्वप्रथम प्रकाश में लेन का श्रेय जाता है देवी दत्त पंत जी को जाता है l

 

ग्रियर्सन  ने लिंग्विस्टिक सर्वे आफ इंडिया में गुमानी पंत जी की दो रचनाओं गुमानी नीति और गुमानी काव्य संग्रह का उल्लेख किया है l

गुमानी जी की प्रमुख  रचनाएं 

नीति शतक 

गंगा शतक 

राम महिमा 

राम महिमा वर्णन

 तत्त्वबोधिनी पंच पंचाशिका 

राम अष्टक 

 

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