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लोकपाल हेमकुंड साहिब

 

हेमकुंड साहिब पवित्र सिख धार्मिक तीर्थ

हेमकुंड साहिब पवित्र सिख धार्मिक तीर्थ स्थल है जो  उत्तराखंड में चमोली  जनपद में स्थित  है, यह समुद्र ताल से 4529 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है

सिखों के दसवें अंतिम गुरु गुरुगोविंद सिंह ने इस झील के तट पर पूर्व जन्म में चिंतन किया था इसका उल्लेख उनकी आत्म कथा विचित्र नाटक में मिलता है l सिख धर्म के अनुयायी  में इस झील का अत्यधिक महत्व है, हेमकुंड झील सात हिमच्छादित शिखरों (सप्तश्रृंग नामक)शिखर से घिरा हुई है l

 

हेमकुंड के अन्य नाम

यह स्थल पुराणों में लोकपाल तीर्थ तथा  दंडपुष्कर्णी तीर्थ के नाम से हिंदुओं में पहले से ही पूज्य है यहां लक्ष्मण जी का एक छोटा मंदिर भी है l

 

हेमकुंड की खोज 

सर्व प्रथम तारा सिंह नरोत्तम ने इस स्थान की भौगोलिक स्थिति की खोज की और श्रद्धालु हेतु इस स्थान की जानकारी पुस्तक ‘गुरु तीर्थ संग्रहि’ में श्रद्धालुओ हेतु उपलब्ध कराई 

सोहन सिंह को हेमकुंड की खोज का श्रेय जाता है वह इस स्थल में बाबा करतार सिंह बेदी के साथ आए थे,उसके बाद हर साल यहां यात्रा की जाने लगी l

 

सरोवर के साथ लक्ष्मण मंदिर

  जिसे सप्तश्रृंग नामक हिम इस स्थान पर पुराण प्रसिद्ध दंड पुष्करिणी तीर्थ (लोकपाल) सरोवर के साथ ही श्री लक्ष्मण मंदिर तथा सिक्कों के आस्था का प्रमुख केंद्र श्री हेमकुंट विद्यमान  है l

इस पवित्र सरोवर में काफी समय पहले लक्ष्मण नाम से वर्णित एक प्रतिमा की प्राप्ति हुई थी वर्तमान में इस मंदिर गर्भग्रह में श्री लक्ष्मण/ दुर्गा माता एवं मां भगवती  की प्रतिमा विद्यमान है

हेमकुंड झील से हेम  गंगा नामक एक छोटी नदी निकलती है l

 

हेमकुंड से बद्रीनाथ की दूरी

हेमकुंड से बद्रीनाथ की दूरीहेमकुंड से बद्रीनाथ की दूरी42 किलोमीटर जोशीमठ से 36 किलोमीटर गोविंद घाट से 20 किलोमीटरपैदल यात्रा 

हेमकुंड साहिब जाने का रास्ता

हेमकुंड साहिब ऋषिकेश बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है ऋषिकेश से इसकी प्रवेश बिंदु की दूरी 332 किलोमीटर पर स्थित गोविंद घाट है गोविंद घाट से 20 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर हेमकुंड साहिब पहुंच जाता है l

हेमकुंड यात्रा पथ में सर्वप्रथम गोविंद घाट में स्थित गुरुद्वारे में भक्तजन शीश झुकाते हैं यह गुरुद्वारा 1944 -45 में बाबा मोदन सिंह ने सर्वप्रथम निर्मित करवाया था बाद में भवनो का निर्माण हेमकुंड ट्रस्ट द्वारा किया गया l

 हेमकुंड में रात्रि को रुकने की अनुमति किसी यात्री को नहीं है इसलिए समय रहते ही नीचे घाघरिया (गोविंद धाम) या गोविंदघाट के लिए यात्रियों को निकालना होता है l

 

 

 

 

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