जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का इतिहास
जिम कॉर्बेट पार्क के नाम
शुरुआत में इस पार्क का नाम ब्रिटिश काल के संयुक्त राष्ट्र गवर्नर विलियम मैल्कम हैली के नाम पर “हैली नेशनल पार्क” रखा गया था, परंतु स्वतंत्रता के बाद इसका नाम बदलकर रामगंगा नेशनल पार्क कर दिया गया। 1956 में, इसे महान प्रकृतिवादी और वन्यजीव प्रेमी जिम कॉर्बेट के सम्मान में “जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क” के नाम से जाना गया।
जिम कॉर्बेट का योगदान
एडवर्ड जेम्स “जिम” कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई 1875 को नैनीताल में हुआ था। वह एक एंग्लो-इंडियन शिकारी, ट्रैकर, फोटोग्राफर, प्रकृतिवादी और लेखक थे। जिम कॉर्बेट ने अपने जीवनकाल में कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में आदमखोर बाघों और तेंदुओं का शिकार किया, जिनमें से कई मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा बने हुए थे। उत्तराखंड की जनता इनको गोरा बर्हाम्ण कहकर पुकारती थी l
1907 से 1938 के बीच, उन्होंने 19 आदमखोर बाघों और 14 तेंदुओं का शिकार किया, जिनकी वजह से करीब 1200 लोगों की जान बचाई गई थी। हालांकि, उनके विचार और दृष्टिकोण बदल गए जब उन्होंने महसूस किया कि आदमखोर बनने के पीछे जानवरों के साथ हुई इंसानी क्रूरता प्रमुख कारण है। इसके बाद उन्होंने शिकार को छोड़कर वन्यजीव संरक्षण को अपनी प्राथमिकता बना लिया।
कॉर्बेट ने अपनी अनुभवों पर आधारित कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें “मैन ईटर्स ऑफ कुमाऊं” (1944) और “द मैन ईटिंग लेपर्ड ऑफ रुद्रप्रयाग” (1948) प्रमुख हैं। इन पुस्तकों में उन्होंने भारतीय जंगलों में अपने अनुभवों और जंगली जानवरों के साथ अपनी मुठभेड़ों का सजीव वर्णन किया है।
पार्क का भूगोल
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क 521 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और यह हिमालय की तलहटी में स्थित है। इसका प्रमुख हिस्सा दो जिलों नैनीताल व् पौड़ी जनपद में फैला हुआ है – 332.86 वर्ग किलोमीटर पौड़ी गढ़वाल में और 208.14 वर्ग किलोमीटर नैनीताल में। पार्क के पास जिम कॉर्बेट व् पाटली दून स्थित रामगंगा, सोन, मंडल, पलैन और कोसी जैसी प्रमुख नदियाँ यहां बहती हैं, जो इस क्षेत्र को प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर बनाती हैं।
कार्बेट भारत का पहला टाइगर रिजर्व
कार्बेट नेशनल पार्क भारत का प्रथम टाइगर रिजर्व है 1973 में कैलाश संखाल के सहयोग से टाइगर प्रोजेकेट की शुरुवात यहाँ से हुई थी कैलाश संखाल को टाइगर मैन ऑफ़ इंडिया भी कहते है l
29 जुलाई को विश्व टाइगर दिवस मानाया जाता है l
जिम कॉर्बेट पार्क से सबंधित महतपूर्ण तथ्य
जिम कॉर्बेट नेशनलपार्कके 500 मीटर क्षेत्र को साइलेंस जोन घोषित किया गया 2012 में
स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्सका गठन किया गया बाघों की रक्षा के लिए 2013 में इसमें सदस्य संख्या 118 है l
डिस्कवरी चैनल के होस्ट बियर ग्रील्स के साथप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सफारी की थी 2019 में ।
कोरोना वायरस के दौरान जानवरों को वायरस से सुरक्षित रखने के लिएआइसोलेशन केंद्र वार्ड बनाए गए थे बिजरानी और कालागढ़ में 2020 में l
प्राकृतिक धरोहर और संरक्षण प्रयास
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों की रक्षा और पर्यावरण का संरक्षण करना है, विशेष रूप से लुप्तप्राय बंगाल बाघों की। पार्क में बाघ, काकड़, एशियाई हाथी, सांभर, स्लॉथ बीयर और हॉग हिरन सहित कई प्रजातियों के वन्यजीव पाए जाते हैं। साथ ही, 600 से अधिक पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों की प्रजातियाँ यहाँ विद्यमान हैं, जिनमें साल, सैर, और शीशम प्रमुख हैं।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, अपने प्राकृतिक सौंदर्य, वनस्पति और जीव जंतुओं की विविधता के साथ, भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को भी दर्शाता है। यह न केवल वन्यजीव प्रेमियों के लिए बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारतीय वन्यजीव संरक्षण की यात्रा का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह न केवल प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का उदाहरण है, बल्कि इसके पीछे जिम कॉर्बेट की मानवता और संरक्षण की भावना भी बसी हुई है। यह पार्क आने वाली पीढ़ियों के लिए वन्यजीवों और पर्यावरण के महत्व को समझाने का एक उत्कृष्ट माध्यम है।
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