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काकड़ी घाट: उत्तराखंड का पवित्र धाम

काकड़ी घाट, उत्तराखंड के नैनीताल से अल्मोड़ा जाने वाली सड़क पर स्थित एक महत्वपूर्ण और पवित्र स्थल है। यह स्थान नैनीताल से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध कैंची आश्रम के निकट आता है। अपनी आध्यात्मिक महत्ता और ऐतिहासिक घटनाओं के कारण काकड़ी घाट को “उत्तराखंड का बोधगया” भी कहा जाता है।

संतों की साधना स्थली

काकड़ी घाट का यह पावन स्थल कई महान संतों की साधना स्थली रहा है। इनमें प्रमुख रूप से हर्षदेव पुरी, जिन्हें 108 जंगल बाबा के नाम से भी जाना जाता है, सोमवार गिरी, बाबा नीम करोली महाराज, और मोनी बाबा का नाम आता है। ये सभी संत यहां ध्यान और साधना में लीन रहते थे। यह स्थान साधकों और आध्यात्मिक यात्रियों के लिए एक अद्वितीय प्रेरणास्रोत बन गया है।

स्वामी विवेकानंद का ऐतिहासिक प्रवास

सन् 1890 में, जब स्वामी विवेकानंद हिमालय के भ्रमण पर निकले थे, तो उन्होंने काकड़ी घाट में विश्राम किया था। यहां स्थित कोसी नदी के संगम पर उन्होंने ध्यान किया था। माना जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने इस स्थान पर स्थित एक प्राचीन पीपल के वृक्ष के नीचे गहन ध्यान लगाकर आत्मज्ञान प्राप्त किया था।

स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु भाई अखंडानंद के साथ अल्मोड़ा में भी कुछ समय बिताया, और काकड़ी घाट की इस साधना स्थली से उन्हें विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त हुआ। इस स्थान पर उन्होंने ब्रह्मांड, सूक्ष्म जगत और स्थूल जगत की एकता का अनुभव किया। उनके अनुसार, शरीर का सूक्ष्म जगत ही पूरे ब्रह्मांड का प्रतिरूप है, और यहां उन्होंने इसी एकता का प्रत्यक्ष अनुभव किया था।

धार्मिक मेलों का आयोजन

काकड़ी घाट में हर वर्ष वैशाख माह के अंतिम सोमवार को सोमनाथ मेला और शिवरात्रि का मेला भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। ये मेले धार्मिक आस्था और परंपराओं का प्रतीक हैं, और यहां देश-विदेश से श्रद्धालु आकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

काकड़ी घाट का आध्यात्मिक आकर्षण

काकड़ी घाट का यह स्थान न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका प्राकृतिक सौंदर्य भी इसे एक अद्वितीय धाम बनाता है। इस स्थान पर आने वाले लोग इसकी शांति, पवित्रता और आध्यात्मिकता का अनुभव करते हैं। हिमालय की गोद में स्थित यह स्थल संतों और साधकों को आरंभ से ही अपनी ओर आकर्षित करता रहा है।

इस प्रकार, काकड़ी घाट केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहां आने से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त होती है।

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