मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार: आस्था और मान्यताओं का अद्वितीय संगम
हरिद्वार, जिसे धर्म और आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है, वहां स्थित मां मनसा देवी का मंदिर भक्तों की अनगिनत श्रद्धा का प्रतीक है। यह मंदिर बिल्व शिखर पर स्थित है और मां मनसा देवी की दिव्य कृपा प्राप्त करने के लिए हजारों श्रद्धालु यहां सालभर आते हैं।
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Toggleमंदिर का इतिहास और महत्व
मनसा देवी मंदिर का निर्माण 1811 से 1815 के बीच राजा गोला सिंह द्वारा कराया गया था। ‘मनसा’ का शाब्दिक अर्थ है “इच्छा पूर्ण करने वाली”, और यह मंदिर उन विशेष चार स्थानों में से एक माना जाता है, जहां समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत की बूंदें गिरी थीं। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र स्थान पर माता सती की नाभि भी गिरी थी, जिससे इसे शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त हुआ। स्कंदपुराण में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है, और इसे देवी के दसवें रूप के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है।
मां मनसा देवी की दो विशेष प्रतिमाएं यहां स्थापित हैं। एक प्रतिमा में उनके तीन मुख और पांच भुजाएं हैं, जबकि दूसरी प्रतिमा में आठ भुजाएं हैं। मां कमल और सर्प पर विराजित हैं, और इनकी प्रतिमाएं विशेष आस्था का केंद्र बनी हुई हैं।
मनोकामना पूर्ण करने का वृक्ष
मनसा देवी मंदिर की एक अनोखी विशेषता है यहां स्थित स्नोही वृक्ष। इस वृक्ष की शाखाओं पर धागा बांधने की परंपरा प्रचलित है। भक्तजन अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना स्वरूप यहां धागा बांधते हैं, और जब उनकी इच्छा पूरी होती है, तो वे दोबारा मंदिर आकर उस धागे को खोलते हैं। यह प्रथा श्रद्धालुओं की गहरी आस्था को दर्शाती है। नवरात्र के समय यहां विशेष रूप से अत्यधिक भीड़ होती है, जब भक्त देवी के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं।
महिषासुर वध और देवी की महिमा
पुराणों के अनुसार, एक बार महिषासुर नामक राक्षस ने देवताओं को पराजित कर दिया। संकट में फंसे देवताओं ने मां मनसा देवी का स्मरण किया, और देवी ने प्रकट होकर महिषासुर का वध किया। इसी घटना के बाद, मां ने हरिद्वार के शिवालिक पर्वत श्रृंखला के मुख शिखर पर विश्राम किया और वहां मंदिर की स्थापना हुई। यह स्थान देवी के वीरता और साहस का प्रतीक बन गया, और आज इस मंदिर में उनकी महिमा गाई जाती है।
कैसे पहुंचें मनसा देवी मंदिर?
मां मनसा देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए हरिद्वार अपर रोड से रास्ता है, जो लगभग दो किलोमीटर का पैदल मार्ग है। हालांकि, भक्तों के लिए रोपवे (उड़नखटोला) की भी सुविधा उपलब्ध है, जो मंदिर तक की यात्रा को सरल बनाता है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन और रोडवेज बस स्टैंड से रिक्शा, तांगा, ऑटो, या ई-रिक्शा द्वारा आसानी से अपर रोड तक पहुंचा जा सकता है।
निष्कर्ष
मनसा देवी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और मान्यताओं का जीवंत प्रतीक है। यहां के श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए आते हैं और देवी की कृपा से धन्य होते हैं। हरिद्वार की पवित्रता और इस मंदिर का अद्वितीय महत्व इसे भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में एक विशेष स्थान प्रदान करता है।
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