8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का गठन
केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी प्रदान कर दी है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई को आयोग का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट ने आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (कार्यक्षेत्र) को भी स्वीकृति दी।
यह आयोग केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मियों के वेतन, भत्तों और पेंशन संरचना में संशोधन की सिफारिशें करेगा।
पृष्ठभूमि
- सामान्यतः, केंद्र सरकार हर 10 वर्ष में वेतन आयोग का गठन करती है।
- वर्ष 1947 से अब तक सात वेतन आयोग गठित हो चुके हैं।
- 7वें वेतन आयोग की स्थापना 2016 में हुई थी, 7वें वेतन आयोग के अध्यक्ष अशोक माथुर हैं इस आयोग की सिफारिशें 31 दिसंबर 2025 तक लागू हैं।
- इस आधार पर, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें जनवरी 2026 से प्रभावी हो सकती हैं।
वेतन आयोग की संरचना
- अध्यक्ष: 1 (सामान्यतः सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश)।
- सदस्य: 2।
- नियुक्ति: केंद्र सरकार द्वारा।
- वर्तमान चेयरमैन: जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेवानिवृत्त)।
वेतन आयोग के प्रमुख कार्य
वेतन आयोग निम्नलिखित जिम्मेदारियां निभाता है:
- परामर्श: केंद्र एवं राज्य सरकारों, कर्मचारी संघों और अन्य हितधारकों से विचार-विमर्श।
- सिफारिशें: सरकारी कर्मचारियों के वेतन संरचना, भत्ते, पेंशन और अन्य लाभों में संशोधन।
- प्रभाव: सिफारिशें लागू होने पर वेतन और भत्तों में वृद्धि होती है, जो सरकार के स्वामित्व वाले संगठनों द्वारा अपनाई जाती हैं।
- बाध्यकारी नहीं: आयोग की सिफारिशें सरकार पर अनिवार्य नहीं होतीं; सरकार उन्हें स्वीकार, संशोधित या अस्वीकार कर सकती है।
- अन्य: महंगाई भत्ता (DA), हाउस रेंट अलाउंस (HRA) आदि में समायोजन।
अपेक्षित प्रभाव
- लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को लाभ।
- फिटमेंट फैक्टर (वेतन वृद्धि का गुणक) पर विशेष ध्यान।
- आर्थिक बोझ: पिछली बार 7वें आयोग से सरकार पर अतिरिक्त भार पड़ा था।
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