तीलू रौतेली(teelu rauteli )

उत्तराखंड इतिहास को देखा जाये तो हमें ऐतिहासिक स्तर पर कुछ वीरांगना का वर्णन मिलता है, जिन्होंने अपने पराकर्म व दृढ ईच्छा शक्ति से अपने शत्रु को नाकों चने चबवायें और उत्तराखंड इतिहास में यह वीरांगनायें अमर हो गयी है, इन्हीं वीरांगना में से एक वीरांगना है, तिलोत्तमा देवी उर्फ (तीलू रौतेली) है ।
* मूलनाम – तिलोत्तमा देवी
* उपनाम –
1-गढ़वाल की झांसी की रानी
2-जोन आफ आर्क
* जन्म वर्ष – 8 अगस्त 1661
* जन्म स्थान – चौंदकोट(पौड़ी)
* पिता का नाम – भूपसिंह रावत
* माता का नाम – मैणा देवी
* भाई के नाम – भक्तू, पर्थवा
* गुरु का नाम – सिब्बू कार्की
* सहेली का नाम – बेल्लू, देवली
* घोड़ी का नाम – बिंदूली
प्रारम्भिक जीवन
* वीरांगना तिलोत्तमा देवी उर्फ (तीलू रौतेली) ने 17 वर्ष की उम्र में 7 युद्ध लड़े इतनी कम उम्र में युद्ध लड़ने वाली विश्व की प्रथम महिला थी इन्होने कत्यूरी शासक से युद्ध लड़े अपने पिता,भाई व मंगेतर की मृत्यु का बदला लिया था ।
* तीलू रौतेली ने बचपन में अपना अधिकांश समय बीरोंखाल के कंडामल्ल गाँव में बीताया था।
* इनकी सगाई चौंदकोट के सूबेदार भुम्या सिंह नेगी के पुत्र भवानी सिंह के साथ हुई थी ।
* चंद वंश के शासक ने कत्यूरी शासक को गढ़वाल खदेड़ दिया था क्योंकि युद्ध में कत्यूरी द्वारा गढ़वाल शासक की मदद किये जाने पर जब कत्यूरी गढ़वाल सीमा पर गये तो उनका संघर्ष गढ़वाल के सीमावर्ती थोकदार भूपसिंह व उनके पुत्रों से हुआ था ।
* युद्ध में तीलू के पिता भूपसिंह रावत दो भाई भक्तू, पर्थवा वीरगति को प्राप्त हो जाने पर तिलोत्तमा देवी उर्फ (तीलू रौतेली) है ने तलवार उठाई अपने पिता, भाई व मंगेतर की हत्या का बदला कत्यूरी से लिया और युद्ध में छापामार (गौरीला) युद्ध पद्धति का प्रयोग किया था ।
* कत्यूरी के विरुद्ध युद्ध में तीलू रौतेली का साथ दो सहेली बेल्लू, देवली व घोड़ी बिंदूली ने दिया था ।
* सल्ट जीत कर जब तीलू रौतेली भिलंगभौड़ की तरफ गयी तो उसकी दोनों सहेली बेल्लू, देवली मारी गयी आज वर्तमान में देघाट,बेला घाट कुमांऊ में इन्ही के नाम पर है ।
* सराई खेत के युद्ध में तीलू रौतेली की घोड़ी बिंदूली मारी गयी कत्यूरी को युद्ध में हराने के बाद नायर नदी पर तीलू स्नान कर रही थी तो राजूरजवार नामक कत्यूरी ने उनकी हत्या कर दी थी ।
तीलू रौतेली के सम्मान
* 8 अगस्त को तीलू रौतेली की जयंती मनाई जाती है ।
* तीलू रौतेली के जीवन पर उपन्यास डॉ० राजेश्वर उनियाल ने लिखा है ।
* तीलू रौतेली की भव्य प्रतिमा बीरौखाल में है ।
* तीलू रौतेली की स्मृति में प्रतिवर्ष बीरौखाल व कांडा ग्राम में कौथिक का आयोजन किया जाता है ।
तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना
* 1 अप्रैल 2014 को उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा कृषि कार्य के दौरान दुर्घटना ग्रस्त महिला जो विकलांग हो जाती है उनके लिये तीलू रौतेली विशेष पेंशन योजना शुरुवात की गयी है जो 18 से 60 वर्ष की उम्र तक दी जाती है ।
तीलू रौतेली महिला शक्ति पुरस्कार
* तीलू रौतेली के जन्मोत्सव पर प्रतिवर्ष महिलाओं को राज्य सरकार के महिला सशक्तिकर्ण विभाग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य के लिये राज्य की महिलाओं एवं युवतियों के उत्साह वर्धन के लिये तीलू रौतेली महिला शक्ति पुरस्कार दिये जाते है ।
11 टिप्पणियाँ
Ganesh arya · नवम्बर 19, 2020 पर 1:28 पूर्वाह्न
Important information 👍
Vinay Kumar · दिसम्बर 30, 2020 पर 6:51 अपराह्न
Nice sir.. बहुत अच्छी जानकारी दी है।
Guruji · दिसम्बर 31, 2020 पर 6:04 अपराह्न
thanks
Rohit kanyal · जनवरी 14, 2021 पर 10:11 अपराह्न
बहुत खूब जानकारी गुरुजी 👍
Guruji · जनवरी 15, 2021 पर 12:02 अपराह्न
thanks
Rohit kanyal · जनवरी 14, 2021 पर 10:09 अपराह्न
बहुत खूब जानकारी गुरुजी 👍
Guruji · जनवरी 15, 2021 पर 12:02 अपराह्न
thanks
Gaurav verma · जनवरी 18, 2021 पर 3:34 अपराह्न
Nice sirji👌
Guruji · जनवरी 19, 2021 पर 7:30 अपराह्न
thanks
Jitendra Dasila · जनवरी 21, 2021 पर 1:33 अपराह्न
सर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपकी इन नोट्स से हमें बहुत सहायता मिली थैंक यू सर
Guruji · जनवरी 22, 2021 पर 12:18 पूर्वाह्न
thanks