उत्तराखंड का नागवंश

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नाग राजवंश                

 * गोपेश्वर का प्राचीन नाम – गो-स्थल है, गोपेश्वर  के त्रिशूल लेख के अनुसार उस त्रिशूल की स्थापना स्कंदनाग, विभुनाग और अंशुनाग के वंशज गणपति नाग ने की थी

* बाड़ाहाट के त्रिशूल लेख के अनुसार- गणेश्वर नामक नृप पति ने भारत में हिमालय के शिखर के समान उत्तम और दिव्य शिव के मंदिर का निर्माण किया था, तथा गणेश्वर के पुत्र गुहने उस भव्य मंदिर के सम्मुख शक्ति त्रिशूल की स्थापना की थी दोनों त्रिशूल लेखों में इन 6 देशों की नामावली प्राप्त होती है स्कंदनाग, विभुनाग ,अंशुनाग, गणपति नाग, गणेश्वर नाग और गुह संभवत गणपति नाग को ही बड़ाहाट के त्रिशूल-लेख में गणेश्वर कहा गया है

* इन  नरेश ने संभवत 485 ई०  से 575 ई०  तक प्राय स्वतंत्र रूप में उत्तराखंड के दूर उत्तर पश्चिम भाग पर शासन किया 575 में सिरमोली शिलालेख से विदित होता है कि इस स्थिति के आसपास मौखिक नरेश शर्ववर्मन को इस क्षेत्र में अपनी संप्रभुता स्थापित  करने में सफलता मिली थी

उत्तराखंड के प्रमुख नाग मंदिर

* डांडा नागराज मंदिरपौड़ी गढ़वाल

* नागराज मंदिर सेम मुखेम टिहरी

* दूधाधारी नाग मंदिरभंकोली गांवउत्तरकाशी

* नागनाथ मंदिर चंपावत

* कालियानागमन्दिरपिथौरागढ़

* बेरीनाग पिथौरागढ़ के प्रमुख नाग मंदिर बेरीनाग

*  कालीनाग वासुकीनाग पिंगलनागहरिनाग प्रमुख है

धौलीनाग फेनीनाग – बागेश्वर में नागपुरिया पहाड़ी पर स्थित है

उत्तराखंड के प्रमुख नागताल  

* नागदेव ताल रानीखेत अल्मोड़ा

* नागताल -चंपावत

* वासुकी ताल- टिहरी गढ़वाल  व केदरानाथ के पश्चिम लाल पानी का ताल है, इस ताल की कथा वासुकीनाग से जुड़ी है 

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