बांज का वृक्ष
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उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य है यहां पर वनों की अधिकता है राज्य में देवदार,,चीड, भोजपत्र, रिंगाल, बुरांश सिसम, साल आदि के वृक्ष पाये जाते है, लेकिन बांज का वृक्ष इन सभी वृक्ष में एक उपयोगी व बहुमूल्य प्राकृतिक वरदान वाला वृक्ष है
विश्व में बांज की लगभग 40 प्रजातियां पायी जाती है जबकि उत्तराखंड में 5 प्रजातियां पाई जाती हैं।
उत्तराखंड में बांज की 5 प्रजातियां पाई जाती है ।
1 फलियांट, फनियाट, हरिंज बांज
2 बांज
3 रियांज सांज बांज
4 तिलंज मोरू, तिलांज बांज
5 खर्सू, खरू बांज
बांज के बारे मे महत्त्वपूर्ण तथ्य
बांज के वृक्ष शीतोष्ण कटिबंध सदाबहार वृक्ष है।
बांज को उत्तराखंड का हरा सोना कहा जाता है।
इससे उत्तराखंड का वरद पुत्र भी कहा जाता है।
इससे शिव की जटा भी कहा जाता है।
बांज को अंग्रेजी में ओक कहा जाता है।
यह फगेसिई कुल के क्वेकर्स गण का पौधा है ।
बांज का वैज्ञानिक नाम क्वेरकस इनकेना है।
बांज का उपयोग
बांज की पत्ती का उपयोग पशुओं को चारा खिलाने तथा बांज की पत्ती का प्रयोग घर पतवार व जैविक खाद बनाने में किया जाता है, साथ ही साथ इसकी लकड़ी का प्रयोग ईंधन के रूप में भी किया जाता है बांज की लकड़ी से कृषि उपकरण भी बनाये जाते है, इमारती लकड़ी के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है, मिट्टी में अधिक नमी बनाने में भी बांज सहायक होते हैं।
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