bhagirathi our alknanda-river-system
* उत्तराखंड एक नदी प्रदेश व जल संचय राज्य है, यहाँ छोटी-बड़ी असंख्य नदी प्रवाहित होती है ।उत्तराखंड में प्रवाहित होने वाली जो छोटी -छोटी नदीयां है उनको को स्थानयी भाषा में गाड़ कहा जाता है ।
* केदारखंड में सप्त समुद्रिक स्रोत का उल्लेख है, उस सप्त समुद्रिक स्रोत में सात नदीयाँ शामिल थी सात नदीयाँ से मिलकर वह सप्त समुद्रिक स्रोत बनता था – भागीरथी, अलकनंदा, धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर, नायर, मंदाकिनी, नदी थी ।
यहाँ पर तीन नदी तंत्र प्रमुख है –
1- काली नदी तंत्र
2- गंगा नदी तंत्र
3- अलकनंदा नदी तंत्र
उत्तराखंड राज्य में प्रवाहित होने वाली नदीयों की लम्बाई
* उत्तराखंड राज्य की सबसे लम्बी नदी – काली नदी इसकी लम्बाई 252 किमी०
* भगीरथी नदी की लम्बी – 205 किमी०
* अलकनंदा नदी की लम्बी – 195 किमी०
* कोसी नदी की लम्बी – 168 किमी०
* टोंस नदी की लम्बी – 148 किमी०
* सरयू नदी की लम्बी – 146 किमी०
* यमुना नदी की लम्बी – 136 किमी०
महत्वपूर्ण सार
* राज्य की सबसे लम्बी नदी – काली नदी है ।
* राज्य का सबसे बड़ा नदी तंत्र – गंगा नदी तंत्र है।
* राज्य की सबसे अधिक जलप्रवाह वाली नदी – अलकनंदा है ।
* राज्य का सबसे बड़ा नदी बेसिन – काली नदी का है ।
* कुमांऊ की सबसे पवित्र नदी – सरयू है ।
* काली नदी का जल मन्दिरों में नही चढाया जाता है ।
* अलकनंदा तंत्र की ऐसी नदी नन्दाकनी है,जिसका जल मन्दिरों में नहीं चढाया जाता है ।
काली नदी तंत्र-
* कुमाऊं में प्रवाहित होने वाली नदी है,यह उत्तराखंड राज्य की सबसे लंबी नदी है,काली नदी कि राज्य में लंबाई 252 किलोमीटर है, काली नदी का उद्गम पिथौरागढ़ के पास कालापानी क्षेत्र से होता है ।
* काली नदी को पुराणों में श्यामा कहा गया है काली नदी को स्थानीय भाषा में काली गंगा काली गाड कहा जाता है ।
* पिथौरागढ़ में प्रवाहित होने के बाद ये चंपावत में प्रवेश करती है, चंपावत में प्रवाहित होने के बाद ब्रह्मदेव मंडी से यह नेपाल में प्रवेश करती है नेपाल में काली को शारदा कहा जाता है ।
* काली की सहायक नदियां और काली पर स्थित संगम
* काली कुटयांगटी का संगम गुंजी में होता है ।
* काली और धौली गंगा का संगम खेला नामक स्थान पर होता है ।
* काली गोरी का संगम जौलजीवी में होता है । यहाँ पर 14 नवम्बर को जौलजीवी मेला भी लगता है ,इस मेले की शुरुआत का श्रेय गजेन्द्र बहादुर को जाता है ।
* काली और सरयू का संगम पंचेश्वर नमक स्थान में होता है सरयू काली की सबसे बड़ी सहायक नदी है तथा काली तंत्र की सबसे पवित्र नदी भी है ।
* काली की अन्तिम सहायक नदी लाधिया जो काली से चूका नामक स्थान में मिलती है।
* काली की प्रमुख सहायक नदी लोहावती भी है ।
भागीरथी नदी तंत्र–
* गंगोत्री से देवप्रयाग तक भागीरथी की कुल लंबाई 205 किलोमीटर है, भागीरथी राज्य में प्रवाहित होने वाली दूसरी लम्बी नदी है।
* भागीरथी नदी का उद्गमउत्तरकाशी जिले में गंगोत्री ग्लेशियर के पास गोमुख नामक स्थान से होता है ।
* गोमुख से उत्तरकाशी तक इसमें इसकी कई सहायक नदियां इससे आकर मिलती हैं ।
* केदारगंगा – भागीरथी की प्रथम सहायक नदी केदारगंगा है। जोकि केदारताल से निकलती है।
* रुद्रगंगा – रुद्रगंगा का उद्गम रुद्रगेरा हिमनद से होता है, यह नदी गंगोत्री में भागीरथी के साथ संगम बनाती है।
* जाड़ गंगा या जहान्वी नदी – इस नदी का उद्गम थांग्ला दर्रे के टकनौर नामक स्थान से होता है। यह नदी भैरो घाटी में भागीरथी के साथ संगम बनाती है यहाँ पर लंका पुल भी है ।
* मिलुनगंगा – यह भी भागीरथी नदी की सहायक नदी है।
* सिया गंगा – सिया गंगा झाला नामक स्थान पर भागीरथी से संगम बनाती है।
* अस्सी गंगा – अस्सी गंगा का उद्गम डोडीताल से होता है, यह नदी गंगोरी नामक स्थान पर भागीरथी से मिलती है।
* भिलंगना नदी – यह नदी टिहरी के खतलिंग ग्लेशियर से निकलती है। भिलंगना नदी भागीरथी नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
* गणेश प्रयाग – यह क्षेत्र पुराने टिहरी में था है, टिहरी का प्राचीन नाम भी गणेश प्रयाग माना जाता है । इस स्थान पर भागीरथी और भिलंगना नदी का संगम होता है भिलंगना भागीरथी की सबसे बड़ी सहायक नदी है जिसका उद्गम खतलिंग ग्लेशियर से होता है।। वर्तमान टिहरी बांध इन नदीयों के संगम पर बना है। इसके बाद भागीरथी नदी देवप्रयाग प्रवेश करेगी ।
* भिलंगना की सहायक नदी – धर्मगंगा, मेदेगंगा, बालगंगा दूधगंगा
* टिहरी देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा संयुक्त धारा को गंगा के नाम से जाना जाता है और इस संगम को सास बहू का संगम भी कहा जाता है ।
* जिसमें भागीरथी नदी को सास कहा जाता है ।
* अलकनंदा नदी को बहु कहा जाता है ।
अलकनंदा नदी तंत्र –
* चमोली से देवप्रयाग तक अलकनंदा की कुल लंबाई 195 किलोमीटर है, यह राज्य की तीसरी लम्बी नदी है, व राज्य की सबसे अधिक जलप्रवाह वाली नदी है ।
* देवप्रयाग में अलकनंदा भागीरथी के साथ संगम बनाती हैं इनकी संयुंक्त धारा को गंगा कहा जाता है।
* अलकनंदा नदी का उद्गम चमोली जनपद के संतोपथके पास अलकापुरी नामक स्थान से होता है। देवप्रयाग तक इसकी बहुत सी सहायक नदियां इसमें आकर मिलती है धार्मिक दृष्टि से महत्व पूर्ण संगम भी है ।
* अलकनंदा नदी में सर्वप्रथम लक्ष्मण गंगा नामक एक छोटी सी नदी मिलती है ।
* सरस्वती नदी – सरस्वती नदी का उदगम स्थल कामेत पर्वत पर स्थित देवताल के रताकोंना नामक गांव (माणा) है। सरस्वती नदी और अलकनंदा का संगम केशव प्रयाग के होता है। सरस्वती नदी पर भीम पुल है ।
नोट – केशव प्रयाग पंचप्रयागों में नहीं गिना जाता है।
* विष्णुप्रयाग – यहां पर पश्चिमी धौलीगंगा और अलकनंदा नदी का संगम होता है।
* नन्द प्रयाग – यहाँ पर नन्दाकिनी और अलकनंदा नदी का संगम होता है।
* कर्णप्रयाग – यहाँ पर अलकनंदा और पिंडर नदी का संगम होता है ।
* रुद्रप्रयाग – अलकनंदा नदी और मंदाकिनी नदी का मिलन रुद्रप्रयाग में होता है ।
* देवप्रयाग – यहां पर अलकनंदा और भागीरथी नदी का संगम होता है ,पंच प्रयाग में सबसे कम ऊचांई वाला प्रयाग है ।
गंगा नदी तंत्र –
देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा का संगम होने के बाद इन दोनों नदियों को संयुक्त रूप से गंगा के नाम से जाना जाता है ।
गंगा नदी की उत्तराखण्ड में सहायक नदियाँ –
* पूर्वी नयार नदी व पश्चिमी नायरनदी ये दोनों नदी सतपुली में संगम बनाती है, उसके बाद ये नदी व्यास घाटी में गंगा नदी से संगम बनाती है ।
* चन्द्रभागा नदी ऋषिकेश के पास गंगा नदी में मिल जाती है ।
* सौंग नदी रायवाला में गंगा नदी से मिलती है ।
* रिस्पना व बिंदांल इसकी अन्य सहायक नदी है।
* हरिद्वार से गंगा नदी मैदानी भाग में प्रवेश करती है ।
* हरिद्वार में ही गंगा नदी पर कुभ मेला का आयोजन होता है हर 12 वर्ष बाद व अर्द्ध कुम्भ का आयोजन हर 6 वर्ष में किया जाता है ।
* 4 नवम्बर 2008 गंगा को राष्टीय नदी घोषित किया गया ।
* 17 सितम्बर 2009 स्पर्श गंगा अभियान – मुनीकेरेती टिहरी से इस अभियान की शुरुआत हुई थी ।
* 2009 गंगा नदी में पायी जाने वाली डाॅलफिन को राष्ट्रीय जलीया जीव का दर्जा दिया गया ।
* 7 जुलाई 2016 नमामि गंगे योजना का शुभारम्भ किया गया ।
* विक्टोरया फेज विषाणु पाये जाने के कारण गंगा का जल खराब नही होता है ।
अगले अध्याय में हम उत्तराखंड की यमुना नदी तंत्र व अन्य छोटी नदी के बारे में अध्ययन करेगें
6 टिप्पणियाँ
Vipin · जुलाई 10, 2020 पर 6:04 पूर्वाह्न
लाजवाब गुरु जी उत्तम जानकारी🙏🙏🙏🙏
jackprakash · जुलाई 10, 2020 पर 9:49 पूर्वाह्न
thanks, Vipin जी
Kamlesh kumar · जुलाई 10, 2020 पर 9:22 पूर्वाह्न
Fabulous sir
jackprakash · जुलाई 10, 2020 पर 9:48 पूर्वाह्न
thanks, Kamlesh ji
jackprakash · जुलाई 10, 2020 पर 11:21 पूर्वाह्न
thanks, aman Ji
Hemant Kumar Arya · जनवरी 25, 2021 पर 1:53 अपराह्न
Bahut accha kam kiya h sir