Victor Mohan Joshi -freedom fighter

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Victor Mohan Joshi -freedom fighter

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जन्म: 1886 ई. (नैनीताल)
पिता का नाम: जयदत जोशी

विक्टर मोहन जोशी एक प्रतिष्ठित भारतीय समाजसेवी, स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार थे। नैनीताल में जन्मे जोशी ने प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा के रेमजे हाईस्कूल से प्राप्त की। बाद में इरविन क्रिश्चियन कॉलेज, इलाहाबाद से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में निपुण थे और विद्यार्थी जीवन से ही उनके भीतर नेतृत्व की विशेषताएँ दिखाई देने लगी थीं।

प्रारंभिक जीवन और क्रिश्चियन फ्रेंड्स संगठन की स्थापना

अपने युवावस्था में, जोशी ने अल्मोड़ा में “क्रिश्चियन फ्रेंड्स” संगठन की स्थापना की। समाजसेवा के प्रति उनके गहरे झुकाव और ईसाई धर्म की शिक्षा ने उन्हें एक सच्चे धर्मसेवी के रूप में उभारा। ईसाई धर्म अपनाने के बाद उनका नाम विक्टर जोसेफ हो गया। गांधीजी ने उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए कहा कि वे “ईसाई समाज के उत्कृष्टतम पुष्प” हैं।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और होमरूल लीग की स्थापना

1914 में विक्टर मोहन जोशी के प्रयासों से अल्मोड़ा में “होमरूल लीग” की स्थापना हुई, जिसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे अल्मोड़ा लौटे और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनका राष्ट्रीय दृष्टिकोण इतना प्रभावी था कि महात्मा गांधी ने उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सदस्य बना लिया।

पत्रकारिता में योगदान

पत्रकारिता के क्षेत्र में भी विक्टर मोहन जोशी का योगदान महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने प्रयाग से अंग्रेजी साप्ताहिक पत्र “क्रिश्चियन नेशनलिस्ट” का प्रकाशन शुरू किया, जो राष्ट्रीय विचारों से ओतप्रोत था। कुछ समय तक वे “शक्ति” पत्र के संपादक भी रहे। स्वाधीन प्रजा नाम का समाचार पत्र का प्रकाशन विक्टर मोहन जोशी द्वारा किया गया था ,इसके अतिरिक्त, बागेश्वर मेले में खादी प्रदर्शनी का आयोजन कर उन्होंने लोगों में स्वदेशी वस्त्रों के प्रति जागरूकता उत्पन्न की।

अल्मोड़ा झंडा सत्याग्रह का नेतृत्व

1930 में उन्होंने “स्वाधीन प्रजा” नामक साप्ताहिक पत्र का संपादन शुरू किया और उसी वर्ष अल्मोड़ा में झंडा सत्याग्रह का नेतृत्व किया। उनका यह संघर्ष स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान था और इससे देश में ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनसमर्थन बढ़ा।

विक्टर मोहन जोशी का जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और समाजसेवा के प्रति समर्पण का आदर्श उदाहरण है। उनकी देशभक्ति, सेवा भावना, और पत्रकारिता के माध्यम से किए गए सामाजिक योगदानों को सदा स्मरण किया जाएगा।

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